“शनि जयंती” एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भगवान शनि (जिसे भगवान शनि के रूप में भी जाना जाता है) की जयंती मनाता है। भगवान शनि को हिंदू पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण देवता माना जाता है, जो न्याय, अनुशासन और कर्म के परिणामों से जुड़ा है।
शनि जयंती ज्येष्ठ के हिंदू महीने की अमावस्या (अमावस्या) पर मनाई जाती है, जो आमतौर पर मई या जून में आती है। भगवान शनि के भक्त इस दिन उनका आशीर्वाद लेने और अपने जीवन में शनि के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए विभिन्न अनुष्ठान और प्रार्थना करते हैं।
शनि जयंती के दौरान, भक्त शनि मंदिरों में जाते हैं, विशेष पूजा करते हैं, और भक्ति के रूप में उपवास रखते हैं। वे भगवान शनि को समर्पित भजन और मंत्र भी पढ़ सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस त्यौहार को भक्ति और ईमानदारी से करने से शनि के प्रभाव को कम करने और आशीर्वाद और समृद्धि लाने में मदद मिल सकती है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हालांकि मैं शनि जयंती और इसके महत्व के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता हूं, हिंदू धर्म के भीतर विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों के बीच विशिष्ट अनुष्ठान और प्रथाएं भिन्न हो सकती हैं।
Shani Jayanti Upay 2023: शनि जयंती का त्योहार 19 मई, 2023 को मनाया जाएगा। शनि जयंती हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि यह भगवान शनि की जयंती का प्रतीक है, जो देवी छाया के पुत्र हैं। यह ज्येष्ठ के हिंदू महीने में अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन, भक्त भगवान शनि को प्रसन्न करने और बेहतर जीवन के लिए उनका आशीर्वाद लेने के लिए कई उपाय करते हैं। इस साल शनि जयंती 2023 के साथ गजकेसरी योग, शश योग और शोभन महायोग का निर्माण हो रहा है, जो इस दिन के महत्व को और बढ़ा देता है। शनि जयंती के दिन किए गए कुछ उपाय शनि की साढ़े साती, ढैय्या और महादशा के प्रतिकूल प्रभावों को कम कर सकते हैं, जिससे रोजगार, व्यवसाय, परिवार और वित्त से जुड़ी समस्याओं का समाधान हो सकता है।
Shani Jayanti 2023 Date Time Puja Vidhi: आज ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि है और आज शनि जयंती मनाई जा रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान शनि का जन्म ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को हुआ था। भगवान शनि को ज्योतिष में न्याय और कर्मफलदाता माना गया है। हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को भगवान शनिदेव का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है शनि की अशुभ छाया जिस किसी पर पड़ जाती है उनके जीवन में उन्हें तमाम तरह की परेशानियां आती है। इन परेशानियों को दूर करने के लिए और कुंडली में मौजूद शनिदोषों से छुटकारा पाने के लिए भगवान शनि देव की पूजा अर्चना की जाती है। आपको बता दें कि इस साल शनि जयंती पर बहुत ही खास और दुर्लभ योग बन रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं शनि जयंती के दिन भगवान शनि देव की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र।
शनि जयंती 2023 और शुभ योग
साल 2023 में शनि जयंती बहुत ही शुभ योग में मनाई जा रही है। इस बार शनि जयंती पर सुबह से लेकर शाम तक शोभन योग रहेगा। इसके अलावा शनि देव स्वयं की राशि कुंभ में विराजमान होंगे और शश महापुरुष योग का निर्माण होगा। वहीं शनि जन्मोत्सव पर गुरु और चंद्रमा की युति से गजकेसरी योग भी रहेगा। गजकेसरी योग को बहुत ही शुभ योग माना जाता है। ऐसे में शनि जयंती पर इस तरह के शुभ योग में भगवान शनि की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी और शनिदेव की विशेष कृपा भी बनी रहेगी।
शनि जयंती शुभ मुहूर्त 2023
ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि प्रारंभ- 18 मई रात 09 बजकर 42 मिनट से
ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि समाप्त – 19 मई रात 09 बजकर 22 मिनट तक
शनि जयंती पर ऐसे करें भगवान शनि की पूजा
शनिदेव की पूजा के लिए अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है। ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर भगवान शनि का जन्म हुआ था ऐसे में शनि जयंती पर सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते हुए भगवान सूर्यदेव को जल चढ़ाएं फिर पूजा का संकल्प लेते हुए साफ-सुथरा वस्त्र पहने। इसके बाद अपने घर के पास बने शनि मंदिर जाकर भगवान शनि की पूजा करें। पूजा में शनिदेव को सरसों के तेल से अभिषेक करें, फिर इत्र, गुलाब, नीले रंग का फूल और काला तिल आदि अर्पित करें। इसके बाद तेल का दीपक जलाएं और अंत में शनि चालीसा मंत्र का विधि-विधान से जाप करें और शनिदेव की आरती करें।
शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय
शास्त्रों में पीपल के पेड़ में शनिदेव का वास माना गया है ऐसे में कुंडली से शनि दोष को खत्म करने के लिए शनि जयंती पर पीपल के जड़ में जल चढ़ाएं और तेल का दीपक जलाएं। इसके अलावा शनि जयंती से शुरू कर हर शनिवार के दिन शनिदेव के मंत्र ‘ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:’का जाप करें। इसके अलावा शनि देव की पूजा के साथ-साथ हनुमानजी की भी पूजा करें।
शनिदेव के प्रमुख मंत्र
शनि गायत्री मंत्र
ॐ शनैश्चराय विदमहे छायापुत्राय धीमहि ।
शनि बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रों स: शनैश्चराय नमः ।।
शनि स्तोत्र
ॐ नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम ।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम ।।
शनि पीड़ाहर स्तोत्र
सुर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय: ।
दीर्घचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि: ।।
तन्नो मंद: प्रचोदयात ।।
शनिदेव को प्रसन्न करने वाले सरल मंत्र
“ॐ शं शनैश्चराय नमः”
“ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः”
“ॐ शन्नो देविर्भिष्ठयः आपो भवन्तु पीतये। सय्योंरभीस्रवन्तुनः।।
शनिदेव की आरती
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव….
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव….
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव….
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव….
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
जय जय श्री शनि देव….
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