हैदराबाद में स्थित यह ऐतिहासिक स्मारक चारमीनार दो शब्दों से मिलकर बना है, जो कि ”चार” और ” मीनार” दो शब्दों से मिलकर बनी हुई है, जिसका शाब्दिक अर्थ है – ”चार खंभे”। वहीं उर्दू में चार का अर्थ – संख्या से है जबकि मीनार का अर्थ टॉवर से है। वहीं जनरल तौर पर चारमीनार का अर्थ चार मीनारों या फिर टॉवर से लिया गया है।
इस प्राचीन टॉवर में चार चमक-दमक वाली मीनारें भी हैं, जो कि चार मेहराबों से जुड़ी हुई हैं, और यह मेहराब मीनार को सहारा भी देता है। इस भव्य इमारत का ऐतिहासिक महत्व होने के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी है।
इसके साथ ही भारतीय-इस्लामी वास्तुकला की सर्वश्रेष्ठ नमूना माने जानी वाली यह चारमीनार कुतुबशाह और भागमती के अटूट प्रेम का भी प्रतीत मानी जाती है।
चारमीनार हैदराबाद, तेलंगाना, भारत में स्थित एक प्रतिष्ठित स्मारक है। इसे शहर का प्रतीक माना जाता है और यह भारत में सबसे अधिक मान्यता प्राप्त संरचनाओं में से एक है। यहां चारमीनार का संक्षिप्त इतिहास दिया गया है:
निर्माण: चारमीनार का निर्माण 1591 में कुतुब शाही वंश के पांचवें शासक सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने करवाया था। इसका निर्माण एक घातक प्लेग के अंत की याद में किया गया था जिसने शहर को पीड़ित किया था।
उद्देश्य: स्मारक का उद्देश्य हैदराबाद के नव स्थापित शहर के लिए एक भव्य केंद्रस्थल के रूप में सेवा करना था। इसे एक प्रतीकात्मक प्रवेश द्वार के रूप में डिजाइन किया गया था, जो शहर के केंद्र और मुख्य दिशाओं की ओर जाने वाली इसकी चार मुख्य सड़कों को चिह्नित करता है।
वास्तुकला: चारमीनार फ़ारसी, इस्लामी और हिंदू स्थापत्य शैली का एक अनूठा मिश्रण प्रदर्शित करता है। यह एक चौकोर आकार की संरचना है जिसमें चार अलंकृत मीनारें लगभग 56 मीटर (184 फीट) की ऊँचाई तक बढ़ती हैं। प्रत्येक मीनार में प्रवेश के लिए चार स्तर और अंदर एक सर्पिल सीढ़ी है।
महत्व: चारमीनार का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। इसकी सबसे ऊपरी मंजिल पर एक छोटी मस्जिद है, जहां आज भी नमाज अदा की जाती है। स्मारक हैदराबाद के पुराने शहर की आसपास की हलचल भरी सड़कों के मनोरम दृश्य भी प्रस्तुत करता है।
किंवदंती और नाम: “चारमीनार” नाम की उत्पत्ति के साथ कई किंवदंतियां जुड़ी हुई हैं। एक लोकप्रिय धारणा यह है कि स्मारक का नाम चारमीनार रखा गया था, जिसका अर्थ उर्दू में “चार मीनार” है, इसकी विशिष्ट वास्तुशिल्प विशेषता के कारण। एक अन्य किंवदंती बताती है कि इसका नाम चार कामन नामक एक वेश्या के नाम पर रखा गया था, जो उस युग के दौरान पास में रहती थी।
जीर्णोद्धार: चारमीनार की संरचनात्मक अखंडता को बनाए रखने के लिए सदियों से चारमीनार की कई बार मरम्मत और जीर्णोद्धार किया गया है। स्मारक को कई बार बहाल किया गया है, जिसमें 21 वीं सदी की शुरुआत में एक महत्वपूर्ण बहाली शामिल है, ताकि गिरावट को दूर किया जा सके और इसकी मूल भव्यता को बहाल किया जा सके।
आज, चारमीनार एक प्रतिष्ठित लैंडमार्क के रूप में खड़ा है, जो दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह हैदराबाद के समृद्ध इतिहास, संस्कृति और स्थापत्य वैभव का प्रतीक है, जो शहर के अतीत को व्यापार, कला और इस्लामी प्रभाव के केंद्र के रूप में दर्शाता है।
हैदराबाद की चार मीनार का इतिहास (Charminar Hyderabad History In Hindi)
नाम | चार मीनार |
स्थान | हैदराबाद, तेलांगना |
प्रशासन प्रबंधक | कुली क़ुतुब शाह |
वास्तुकला शैली | इस्लामिक |
निर्माण | 1591 |
चार मीनार की ऊंचाई | 48.7 मीटर |
चार मीनार की संरचना (Charminar structure) –
चारमीनार चार मीनारों के साथ एक विशाल और प्रभावशाली संरचना है. चार मीनार की संरचना वर्गाकार है, जिसका हर साइड 20 मीटर लम्बा है. चार मीनार में हर दिशा में एक दरवाजा है, जो अलग अलग बाजारों में खुलता है. इसके प्रत्येक कोने में 56 मीटर (लगभग 184 फीट) उची मीनार है, जिसमें 2 बालकनी है. प्रत्येक मीनार के उपरी हिस्से में, नुकीले पत्ती की तरह, एक बल्बनुमा गुंबद की डिजाईन है, ऐसा लगता है मानो किसी ने मीनार को ताज पहना दिया है. ताजमहल की तरह चार मीनार में ये मीनारें इसकी मुख्य संरचना है. यहाँ सबसे उपर जाने के लिए 149 घुमावदार सीढियां है. अलग तरह की बालकनी एवं मीनार की संरचना एवं सजावट के लिए भी इसे जाना जाता है. ताज महल का इतिहास जानने के लिए पढ़े.
चार मीनार की संरचना ग्रेनाइट, चूना पत्थर, मोर्टार और चूर्णित संगमरमर से हुई थी. शुरू में चार मीनार के लिए एक निश्चित अनुपात में चार मेहराब बस बनाने की योजना बनाई गई थी. लेकिन जब हैदराबाद शहर का निर्माण हुआ और वहां के किले को खोला गया तो, शहर में चारों ओर चमक धमक खुशहाली आ गई, जिसके बाद यहाँ एक बड़े स्मारक के रूप में चार मीनार का कार्य शुरू हुआ. चारमीनार एक शाही इलाका था, इसके बावजूद यहाँ सबसे अधिक चहल पहल होती थी. चार मीनार दो मंजिला ईमारत है. इनकी बालकनी से इसके आसपास के क्षेत्र की सुन्दरता को देखा जा सकता है.
चारमीनार को गोलकोंडा किले से जोड़ने के लिए, उसके अंदर बहुत सी भूमिगत सुरंग का भी निर्माण कराया गया था. संभवतः इसका निर्माण इसलिए हुआ होगा, ताकि कभी किले में दुश्मनों के द्वारा घेराबंदी होने पर क़ुतुब शाही शासक वहां से छिप कर भाग सकें. इन सुरंगों के स्थान आज भी अज्ञात है.
चार मीनार के पश्चिम में ईमारत के उपरी हिस्से में खुला हुआ मस्जिद है, वहां के बाकि हिस्से में क़ुतुब शाही का दरबार हुआ करता था. इस मस्जिद पश्चिम में है, जो इस्लाम के पवित्र तीर्थस्थल मक्का की ओर मुंह किये हुए है. इस्लाम के पवित्र तीर्थस्थल हज की यात्रा के बारे में यहाँ पढ़ें. यहाँ की मुख्य मस्जिद, चार मंजिला ईमारत के सबसे उपरी मंजिल में स्थित है. दो बालकनी को जोड़ने के लिए छज्जा बना हुआ है, इसके उपर एक बड़ा छत है, जिसके चारों ओर पत्थर की बाउंड्री है. एक मुख्य बालकनी में 45 जगह है, जहाँ बैठ कर प्राथना की जा सकती है, इसके अलावा इसके सामने का बड़ा हिस्सा खुला हुआ है, जहाँ शुक्रवार को अधिक लोग होने पर वहां प्राथनाएं होती थी. चार मीनार की चार प्रमुख दिशाओं में 1889 में घड़ी लगाई गई थी. चार मीनार में बीचोंबीच पानी का छोटा सा तालाब जैसा है, जिस पर फव्वारा भी लगा है. मस्जिद में प्राथना करने से पहले लोग यहाँ हाथ पैर धोते थे.
मक्का मस्जिद (Mecca Masjid) –
चारमिनार में एक और बड़ी मस्जिद है, जिसे मक्का मस्जिद कहते है. क़ुतुब शाही राजवंश के पांचवें शासक मोहम्मद कुली क़ुतुब शाह ने मिट्टी से बने ईंट, इस्लाम के तीर्थस्थल मक्का से मंगवाए थे. इन ईंटों से चारमीनार के मुख्य मस्जिद में, उसके केंद्रीय चाप का निर्माण हुआ था, जिसके बाद उस मस्जिद का नाम मक्का मस्जिद पड़ गया. कहते है ये हैदराबाद की सबसे पुरानी मस्जिद में से एक है.
चार मीनार बाजार (Charminar Market) –
चार मीनार के आसपास का इलाका भी चार मीनार कहलाता है, लेकिन इसके आसपास अलग अलग मार्किट भी है. चारमिनार के पास स्थित लाड बाजार अपने गहने, विशेष रूप से अति सुंदर चूड़ियों के लिए जाना जाता है. जबकि पथेर गट्टी बाजार मोतियों के लिए प्रसिध्य है. चार मीनार के चारों ओर लगभग 14 हजार दुकानें होंगी. क़ुतुब शाही से लेकर निजाम के शासन तक और ब्रिटिश साम्राज्य से अभी तक चारमीनार के आस पास हल चल गतिविधियाँ होती रहती है. इतिहास के अनुसार ये एक अकेला ऐसा शाही इलाका था, जहाँ इतनी अधिक आम आदमियों की हलचल होती थी.
चार मीनार के आस पास के बाजारों में आस सस्ती से सस्ती और महंगी से महंगी चीज खरीद सकते है. इसके साथ ही यहाँ खाने पीने के भी बहुत से स्टाल है, जहाँ हैदराबादी कुल्चे, नहरी, बिरयानी बहुत फेमस है. हैदराबाद उन शहरों में से है, जहाँ आधुनिकता एवं परंपरा का मिश्रण देखने को मिलता है.
चार मीनार में बना भाग्यलक्ष्मी जी का मंदिर – Bhagyalakshmi Temple Charminar
चार मीनार, भले ही प्रमुख इस्लामिक स्थलों में गिना जाता है, लेकिन भारत की इस ऐतिहासिक धरोहर के सबसे नीचे तल पर एक छोटा सा भाग्यलक्ष्मी जी का मंदिर भी बना हुआ है,जो कि काफी विवादों से भी जुड़ा रह चुका है।
इस मंदिर के बारे में इतिहासकारों के अलग-अलग मत रहे हैं, कुछ की माने तो इस मंदिर का निर्माण चारमीनार के निर्माण के समय नहीं किया गया है, जबकि कुछ इतिहासकारों ने यह भी स्पष्ट किया है कि साल 1957 से 1962 में चारमीनार में ली गई तस्वीरों में ऐसा कोई भी मंदिर मौजूद नहीं था, हालांकि इस मीनार के अंदर बने मंदिर के दर्शन के लिए भी दूर-दूर से लोग आते हैं, इसकी अपनी अलग धार्मिक मान्यता हैं।
चार मीनार में चूड़ी और मोती का शानदार मार्केट – Charminar Market
हैदराबाद में स्थित इस ऐतिहासिक और भव्य स्मारक चार मीनार के आसपास अलग-अलग बाजार स्थित हैं। इसके पास स्थित लाड बाजार लाख की सुंदर चूड़ियां, कलामकारी चित्रों, हैदराबादी कांजीवरम साडि़यों, शानदार दुपट्टे, आर्कषक गहनों, बिद्री वर्क, गोलकोंडा पेंटिंग, और गोंगुरा अचार के लिए मशहूर हैं।
जबकि इस अनूठी मीनार के पास स्थित पथेर गट्टी बाजार खास तरह के मोतियों के लिए मशहूर है, यहां देश से ही नहीं, बल्कि विदेश से भी लोग मोती खरीदने के लिए पहुंचते हैं। चार मीनार के चारों तरफ विशाल मार्केट है, जहां करीब 14 हजार से भी ज्यादा दुकानें सजी हुई हैं।
आपको बता दें कि यह ऐतिहासिक स्मारक खाद्य पदार्थों के लिए भी प्रसिद्ध है, यहां पर्यटक हैदराबादी व्यंजन जैसे, हैदराबादी बिरयानी, हलीम, मिर्ची का सालन आदि का लजीज स्वाद चख सकते हैं इसके अलावा यहां मशहूर ईरानी चाय भी काफी मशहूर है।
चार मीनार को बाजार में शॉपिंग करने के साथ-साथ लजीज पकवानों के स्वाद के लिए भी जाना जाता है। चार मीनार के मार्केट की रौनक देखते ही बनती है, वहीं ईद, दीपावली और अन्य मौकों पर इसकी शोभा और अधिक बढ़ जाती है। यह मार्केट पर्यटकों को अपनी तरफ खींचता है।
हालांकि, इस मार्केट में मोतियों की शॉपिंग करते समय खरीददारों को सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि यहां कई दुकानें ऐसी भी हैं जहां नकली मोती का सामान बिकता है, इसलिए सरकार की तरफ से मान्यता प्राप्त दुकान से ही मोती खरीदें ताकि ठगी से बचा जा सकें एवं उचित गुणवत्ता वाले मोतियों की खरीददारी की जा सके।
इसके अलावा चार मीनार में लगने वाला रविवार बाजार भी काफी मशहूर है। यहां पर्यटक अपनी किचन के सामान के साथ घरेलू साज-सजावट का सामान खरीद सकते हैं। वहीं पुराने सिक्कों के अच्छे कलेक्शन के लिए चार मीनार का संडे मार्केट भी मशहूर है।
चार मीनार के बारे में कुछ रोचक तथ्य – Charminar Facts
- कुतुब शाही सम्राज्य के पांचवे शासक सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह द्धारा बनवाई गई यह ऐतिहासिक चार मीनार के निर्माण का मुख्य उद्देश्य मस्जिद और मदरसा के रुप में सेवा करना था।
- इस ऐतिहासिक मीनार का निर्माण इंडो- इस्लामिक वास्तुशैली का इस्तेमाल कर किया गया था, लेकिन इसमें फारसी वास्तुशिल्प तत्वों को भी शामिल किया गया है।
- इस ऐतिहासिक मीनार में पत्थरों की छज्जे के साथ एक छत और दो बरामदें भी हैं, जो छत की तरह दिखाई देते हैं। इस मीनार में चार चमक-दमक वाली मीनारें बनी हुई हैं, जो कि चार अलग-अलग मेहराब से जुड़ी हुई हैं।
- कुतुब शाही वास्तुकला के कुछ अनूठे नमूनों को प्रदर्शित करता है, जिनमें से मक्का मस्जिद, तौली मस्जिद, चार मीनार, जामी मस्जिद, बेशक हैदराबाद का प्रभावशाली चिन्ह शामिल हैं।
- भारत की इस मशहूर इमारत की चार मीनारें, इस्लाम के पहले चार खलीफों का प्रतीक मानी जाती हैं।
- विश्क की यह प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारक, चारमीनार पुराने हैदराबाद शहर में स्थित है, ये कुतुब शाही युग का हॉल मार्क भी है।
- इस भव्य ऐतिहासिक स्मारक का निर्माण के हर चाप का निर्माण 1889 ईसवी में हुआ था।
- इस ऐतिहासिक मीनार और गोलकुंडा के बीच एक गुप्त सुरंग भी बनी हुई है, जिसका मुख किस तरफ है इसकी जानकारी बेहद कम लोगों को ही थी।
- यह विशाल और ऐतिहासिक इमारत की वजह से ही हैदराबाद के शहर को अपनी एक अलग पहचान मिली है।
- हैदराबाद में स्थित इस आर्कषक चारमीनार को हर शाम तरह-तरह की कलरफुल लाइटों से सजाया जाता है, जिससे यह देखने में काफी सुंदर लगता है।
- इस भव्य और ऐतिहासिक इमारत को आर्कषक डिजाइन देने के लिए पर्शियन आर्किटेक्ट को बुलाया गया था।
- चारमीनार को विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल किया गया है। साल 2010 में यूनेस्कों द्धारा इसे वर्ल्ड हेरिटेज की साइट में शामिल किया गया है।
- चार मीनार की हर मीनार को एक अलग तरह की रिंग से मार्क किया गया है, जिसे बाहर से आसानी से देखा जा सकता है।
- इस ऐतिहासिक स्मारक चारमीनार के नाम से एक एक्सप्रेस ट्रेन भी है, जो कि हैदराबाद और चेन्नई के बीच में चलती है।
ऐसे पहुंचे चारमीनार – How To Reach Charminar
हैदराबाद में स्थित भारत की इस ऐतिहासिक और शानदार इमारत चार मीनार को देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं। हैदराबाद, सड़क, वायु एवं रेल तीनों परिवहन से बेहतर तरीके से जुड़ा हुआ है। आपको बता दें कि हैदराबाद रेलवे स्टेशन से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जबकि बस स्टेशन से इसकी दूरी करीब 5 कि.मी. है।
वहीं अगर जो सैलानी हवाई मार्ग से यहां पहुंचते हैं, उन्हें इस भव्य इमारत को देखने के लिए करीब 15 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है।
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