• Skip to main content
  • Skip to secondary menu
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
mirch

mirch.in

News and Information in Hindi

  • होम
  • मनोरंजन
  • विज्ञान
  • खेल
  • टेक
  • सेहत
  • करियर
  • दुनिया
  • धर्म
  • व्यापार
  • संग्रह
    • हिंदी निबंध
    • हिंदी कहानियां
    • हिंदी कविताएं
  • ब्लॉग

दहेज प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)

Published on November 25, 2023 by Editor

दहेज प्रथा एक सामाजिक बुराई है जो भारतीय समाज में अनेक वर्षों से मौजूद है। यह विवाह के समय दुल्हन के परिवार से उनके पति या पति के परिवार को नकद या और किसी प्रकार की सामग्री के रूप में दी जाने वाली राशि होती है। इस प्रथा के कारण महिलाओं को दुख, अत्याचार, और समाज में अन्याय का सामना करना पड़ता है।

  • दहेज प्रथा का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इसके कारण समाज में समानता और न्याय का अभाव होता है। महिलाओं को उनके स्त्रीत्व के आधार पर नहीं बल्कि उनके दी जाने वाले दहेज के माध्यम से माना जाता है, जो उनके सम्मान को कम करता है।
  • यह प्रथा महिलाओं के स्वतंत्रता और समानता को प्रभावित करती है। इससे महिलाओं को व्यक्तिगत और सामाजिक रूप से बाधित किया जाता है, जिससे उन्हें अपने सपनों और प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में माध्यमिका बना दिया जाता है।
  • दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए समाज को शिक्षित करना और उन्हें इसके नुकसानों को समझाना बहुत आवश्यक है। सरकार द्वारा कठोर कानूनों की निर्माणा और उनके पालन में सख्ती बरतना भी इस प्रथा को रोकने में मददगार हो सकता है।
  • दहेज प्रथा एक बेहद घातक सामाजिक समस्या है जो समाज की सोच और धारणाओं को बदलकर महिलाओं को सम्मान और समानता का अधिकार दिलाने की आवश्यकता है।
  • दहेज प्रथा के समाप्ति के लिए सामाजिक जागरूकता और शिक्षा की आवश्यकता है। समाज को महिलाओं के साथ उनके अधिकारों को समझने और समर्थन करने की जरूरत है। व्यापक रूप से दहेज लेने और देने के प्रति समाज में बदलाव लाने के लिए सशक्त शिक्षा और संज्ञान की अवधारणा को प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • दहेज प्रथा को रोकने के लिए कानूनी उपाय भी महत्वपूर्ण हैं। सरकार को कठोर कानून बनाने और इन कानूनों का पालन करवाने के साथ-साथ दहेज प्रथा के खिलाफ संज्ञान और जागरूकता फैलाने का भी प्रयास करना चाहिए।
  • दहेज प्रथा एक समाजिक रूप से मानवाधिकारों का उल्लंघन है और हमें समाज में इसको खत्म करने के लिए साथ मिलकर कदम उठाने की आवश्यकता है। महिलाओं को समानता, सम्मान, और स्वतंत्रता का हक दिलाने के लिए हमें साथ मिलकर काम करना होगा। इस प्रकार हम एक समरस, समानित, और समृद्ध समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

Table of Contents

Toggle
  • दहेज का नकारात्मक प्रभाव
      • दहेज प्रथा को रोकने के लिए कई तरीके हो सकते हैं। यहां कुछ कदम दिए गए हैं जो इस प्रथा को रोकने में मदद कर सकते हैं:
      • हालाँकि दहेज जैसी सामाजिक बुराई तब तक मिट नहीं सकती जब तक कि लोग कानून के साथ सहयोग न करें।
  • निष्कर्ष

दहेज का नकारात्मक प्रभाव

अन्याय | दुल्हन के परिवार के लिए, दहेज एक महत्वपूर्ण वित्तीय बोझ वहन करता है। इसलिए लड़कियों को परिवार पर संभावित बोझ और संभावित वित्तीय बर्बादी के रूप में देखा जाता है। यही दृष्टिकोण कन्या भ्रूण हत्या और भ्रूण हत्या का रूप ले लेता है। स्कूली शिक्षा के उन क्षेत्रों में जहाँ परिवार के लड़कों को प्राथमिकता दी जाती है, लड़कियों को अक्सर हाशिए पर रखा जाता है। पारिवारिक सम्मान बनाए रखने के नाम पर उन पर कई तरह की सीमाएं लगाई जाती हैं और घर के अंदर रहने के लिए मजबूर किया जाता है। आयु को अभी भी पवित्रता के माप के रूप में देखा जाता है, जिसके कारण बाल विवाह की प्रथा जारी है। इस प्रथा को इस तथ्य से समर्थन मिलता है कि दहेज की राशि लड़की की उम्र के साथ बढ़ती जाती है।

महिलाओं के विरुद्ध हिंसा | आम धारणा के विपरीत, दहेज हमेशा एक बार दिया जाने वाला भुगतान नहीं होता है। पति का परिवार, जो लड़की के परिवार को धन की अंतहीन आपूर्ति के रूप में देखता है, हमेशा मांग करता रहता है। लड़की के परिवार की आगे की माँगों को पूरा करने में असमर्थता के परिणामस्वरूप अक्सर मौखिक दुर्व्यवहार, पारस्परिक हिंसा और यहाँ तक कि हत्या भी होती हैं। महिलाएं लगातार शारीरिक और मनोवैज्ञानिक शोषण सहती हैं और इसलिए उनमें अवसाद का उत्पन्न होने और यहां तक कि आत्महत्या का प्रयास करने का जोखिम बढ़ जाता है।

वित्तीय बोझ | दूल्हे के परिवार द्वारा की जाने वाली दहेज की माँगों के कारण, भारतीय माता-पिता अक्सर लड़की की शादी को पर्याप्त धनराशि से जोड़कर देखते हैं। परिवार अक्सर बड़ी मात्रा में कर्ज लेते हैं और घर गिरवी रखते हैं, जो उनके आर्थिक स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचाता है।

लैंगिक असमानता | किसी लड़की से शादी करने के लिए दहेज देने की धारणा लिंगों के बीच असमानता की भावना को बढ़ाती है, जिससे पुरुषों को महिलाओं से बेहतर समझा जाता है। युवा लड़कियों को स्कूल जाने से रोक दिया गया है जबकि उनके लड़कों को स्कूल जाने की अनुमति दी जाती है। उन्हें अक्सर व्यवसाय करने से हतोत्साहित किया जाता है क्योंकि उन्हें घरेलू कर्तव्यों के अलावा अन्य नौकरियों के लिए अयोग्य माना जाता है। अधिकांश समय, उनकी राय को चुप करा दिया जाता है, नज़रअंदाज कर दिया जाता है, या अनादर के साथ व्यवहार किया जाता है।

दहेज की अन्यायपूर्ण प्रथा से निपटने के लिए, एक राष्ट्र के रूप में भारत को अपनी वर्तमान मानसिकता में भारी बदलाव करने की आवश्यकता है। उन्हें यह समझना चाहिए कि आज की दुनिया में महिलाएं हर उस कार्य को करने में पूरी तरह सक्षम हैं जिसे करने में पुरुष सक्षम हैं। महिलाओं को स्वयं यह धारणा छोड़ देनी चाहिए कि वे पुरुषों के अधीन हैं और उनकी देखभाल के लिए उन पर निर्भर रहना चाहिए।

दहेज प्रथा को रोकने के लिए कई तरीके हो सकते हैं। यहां कुछ कदम दिए गए हैं जो इस प्रथा को रोकने में मदद कर सकते हैं:

  • शिक्षा और जागरूकता: शिक्षा महत्वपूर्ण होती है। महिलाओं और समाज के सभी सदस्यों को दहेज प्रथा के खिलाफ जागरूक करने के लिए शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
  • कानूनी कदम: सरकार को कठोर कानून बनाने चाहिए जो दहेज प्रथा को रोके और उसे अपराध माने। इन कानूनों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
    सामाजिक संगठन और अभियान: सामाजिक संगठनों को इस मुद्दे पर काम करना चाहिए। वे दहेज प्रथा के नुकसानों को बताकर और समाज में जागरूकता फैलाकर इसे रोकने के लिए काम कर सकते हैं।
  • समाजिक बदलाव: समाज में समानता और सम्मान की भावना को बढ़ावा देना चाहिए। समाज को महिलाओं के सम्मान और समानता के प्रति समझाया जाना चाहिए।
  • महिलाओं की आत्मनिर्भरता: महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें शिक्षा, प्रशिक्षण, और रोजगार के अवसर प्रदान करने चाहिए। इससे उनकी आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता मजबूत होगी।

ये सभी कदम साथ मिलकर दहेज प्रथा को रोकने में मददगार हो सकते हैं। इस मुद्दे पर समाज के सभी सदस्यों को साझा जिम्मेदारी लेनी होगी।सामाजिक समस्या के राजनीतिक समाधान की सीमाओं को पहचानना: जनता के पूर्ण सहयोग के बिना कोई भी कानून लागू नहीं किया जा सकता है।निःसंदेह किसी कानून का निर्माण व्यवहार का एक पैटर्न निर्धारित करता है, सामाजिक विवेक को सक्रिय करता है और अपराधों को समाप्त करने में समाज सुधारकों के प्रयासों को सहायता प्रदान करता है।

हालाँकि दहेज जैसी सामाजिक बुराई तब तक मिट नहीं सकती जब तक कि लोग कानून के साथ सहयोग न करें।

बालिकाओं को शिक्षित करना: शिक्षा और स्वतंत्रता एक शक्तिशाली एवं मूल्यवान उपहार है जो माता-पिता अपनी बेटी को दे सकते हैं।यह बदले में उसे आर्थिक रूप से मज़बूत होने और परिवार में योगदान देने वाले एक सदस्य बनने में मदद करेगा, जिससे परिवार में सम्मान के साथ उसकी स्थिति भी सुदृढ़ होगी।इसलिये बेटियों को अच्छी शिक्षा प्रदान करना और उन्हें अपनी पसंद का कॅरियर बनाने के लिये प्रोत्साहित करना सबसे अच्छा दहेज है जो कोई भी माता-पिता अपनी बेटी को दे सकते हैं।

दहेज एक सामाजिक कलंक: दहेज को स्वीकार करना एक सामाजिक कलंक बना दिया जाना चाहिये और सभी पीढ़ियों को इसके लिये प्रेरित किया जाना चाहिये। इसके लिये दहेज प्रथा के दुष्परिणामों के प्रति सामाजिक चेतना जगाने की ज़रूरत है।

इस संदर्भ में:

केंद्र और राज्य सरकारों को लोक अदालतों, रेडियो प्रसारणों, टेलीविज़न और समाचार पत्रों के माध्यम से ‘निरंतर’ लोगों के बीच ‘दहेज-विरोधी साक्षरता’ को बढ़ाने के लिये प्रभावी कदम उठाया जाना चाहिये।दहेज प्रथा के खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये युवा आशा की एकमात्र किरण हैं। उन्हें जागरूक करने और उनके दृष्टिकोण को व्यापक बनाने के लिये उन्हें नैतिक शिक्षा दी जानी चाहिये।

बहु हितधारक दृष्टिकोण: दहेज एकमात्र समस्या नहीं है बल्कि इसके लिये कई कारक उत्तरदायी हैं, अतः समाज को लैंगिक समानता के लिये हरसंभव कदम उठाना चाहिये। इस संदर्भ में:लैंगिक असमानता को दूर करने के लिये राज्यों को जन्म, प्रारंभिक बचपन, शिक्षा, पोषण, आजीविका, स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच आदि से संबंधित डेटा देखना चाहिये और उसके अनुसार रणनीति बनानी चाहिये।बाल संरक्षण और सुरक्षित सार्वजनिक परिवहन का विस्तार करने, काम में भेदभाव को कम करने और कार्यस्थल के अनुकूल वातावरण बनाने की आवश्यकता है।घर पर पुरुषों को घरेलू काम और देखभाल की ज़िम्मेदारियों को साझा करना चाहिये।

निष्कर्ष

दहेज प्रथा न केवल अवैध है बल्कि अनैतिक भी है। इसलिये दहेज प्रथा की बुराइयों के प्रति समाज की अंतरात्मा को पूरी तरह से जगाने की ज़रूरत है ताकि समाज में दहेज की मांग करने वालों की प्रतिष्ठा कम हो जाए।

Share this:

  • Facebook
  • X

Related

Filed Under: Hindi Essay

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Primary Sidebar

Search

Top Posts

  • हनुमानजी का चमत्कारी चौपाई | kavan so kaj kathin jag mahi
    हनुमानजी का चमत्कारी चौपाई | kavan so kaj kathin jag mahi
  • दुर्गा चालीसा | Durga Chalisa Lyrics
    दुर्गा चालीसा | Durga Chalisa Lyrics
  • श्री सत्यनारायण भगवान की कथा
    श्री सत्यनारायण भगवान की कथा

Footer

HOME  | ABOUT  |  PRIVACY  |  CONTACT

Recent

  • सट्टा किंग: क्या यह एक खेल है या एक जाल?
  • सरकारी नौकरी:रेलवे में अप्रेंटिस के 2424 पदों पर निकली भर्ती, 10वीं पास को मौका, महिलाओं के लिए नि:शुल्क
  • अब महिलाओं को मुफ्त में मिलेगा रसोई गैस सिलेंडर, जानें आवेदन प्रक्रिया|PM Ujjwala Yojana
  • राजस्थान फ्री लैपटॉप योजना 2024: Rajasthan Free Laptop Yojana

Tags

क्रिसमस पर निबंध | Motivational Christmas Essay In Hindi 2023

Copyright © 2025 · [mirch.in]