इसी जन्म में,
इन मेंस जीव,
हमको तुमको मान मिलेगा।
गीतों की खेती करने को,
पूरा हिंदुस्तान मिलेगा॥
क्लेश जहाँ है,
फूल खिलेगा,
हमको तुमको त्रान मिलेगा।
फूलों की खेती करने को,
पूरा हिंदुस्तान मिलेगा॥
दीप बुझे हैं,
जिन आँखों के;
इन आँखों को ज्ञान मिलेगा।
विद्या की खेती करने को,
पूरा हिंदुस्तान मिलेगा॥
मैं कहता हूँ,
फिर कहता हूँ;
हमको तुमको प्रान मिलेगा।
मोरों-सा नर्तन करने को,
पूरा हिंदुस्तान मिलेगा
रचनाकार : केदारनाथ अग्रवाल
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