भगवान शिव की कहानियों को पढ़ना या सुनना, जिसे शिव कथा भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में एक पवित्र अभ्यास माना जाता है। भगवान शिव की कहानियाँ प्रतीकात्मकता, पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिक शिक्षाओं से समृद्ध हैं। शिव कथा को पढ़ने या सुनने के कुछ लाभ इस प्रकार हैं:
आध्यात्मिक विकास: माना जाता है कि भगवान शिव की कहानियों में श्रोता की चेतना को बदलने और उन्हें आध्यात्मिक विकास की ओर ले जाने की शक्ति है। वे वास्तविकता की प्रकृति, जीवन के उद्देश्य और स्वयं के वास्तविक स्वरूप की अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
आंतरिक शांति: भगवान शिव की कहानियाँ अक्सर वैराग्य और आंतरिक शांति के महत्व पर प्रकाश डालती हैं। इन कहानियों को सुनकर व्यक्ति शांतिपूर्ण और संतुष्ट जीवन जीने की गहरी समझ प्राप्त कर सकता है।
विघ्न निवारण भगवान शिव को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। उनकी कहानियों को सुनकर कोई भी उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है और जीवन में चुनौतियों और बाधाओं पर काबू पाने के लिए उनका मार्गदर्शन प्राप्त कर सकता है।
प्रेरणा: भगवान शिव की कहानियाँ प्रेरक चरित्रों से भरी हुई हैं, जैसे उनकी पत्नी पार्वती, उनके पुत्र गणेश और कार्तिकेय, और उनके भक्त जैसे मार्कंडेय और प्रह्लाद। ये चरित्र भक्ति, साहस और ज्ञान जैसे गुणों का प्रतीक हैं और आध्यात्मिक आकांक्षियों के लिए रोल मॉडल के रूप में काम कर सकते हैं।
सांस्कृतिक संरक्षण: शिव कथा पढ़ना या सुनना भी हिंदू सांस्कृतिक परंपराओं और मूल्यों को संरक्षित करने और प्रसारित करने का एक तरीका है। यह भारत की समृद्ध विरासत से जुड़ने और इसकी पौराणिक कथाओं, इतिहास और आध्यात्मिक प्रथाओं के बारे में जानने का एक तरीका है।
दिव्य संबंध: भगवान शिव की कहानियाँ किसी को भी परमात्मा के साथ गहरा संबंध स्थापित करने में मदद कर सकती हैं। भक्ति और श्रद्धा के साथ इन कहानियों को सुनने से व्यक्ति परमात्मा के साथ एकता की भावना का अनुभव कर सकता है और शांति और आनंद की गहरी भावना महसूस कर सकता है।
Shiv chalisa lyrics in hindi
॥दोहा॥
( Shiv chalisa doha )
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
॥चौपाई॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।
छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।
सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा।
सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।
सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।
जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।
कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी।
करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।
येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।
संकट ते मोहि आन उबारो॥
मात-पिता भ्राता सब होई।
संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी।
आय हरहु मम संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदा हीं।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन।
मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।
शारद नारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमः शिवाय।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई।
ता पर होत है शम्भु सहाई॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी।
पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे।
ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा।
ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे।
अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥दोहा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
अंत में, शिव कथा को पढ़ना या सुनना एक शक्तिशाली साधना है जो आंतरिक परिवर्तन, शांति और प्रेरणा की ओर ले जा सकती है। यह जीवन की बाधाओं को दूर करने, परमात्मा से जुड़ने और हिंदू सांस्कृतिक परंपराओं और मूल्यों को संरक्षित करने और आगे बढ़ाने में मदद कर सकता है।
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