आज 23 जनवरी सोमवार है और आज सूर्योदय का समय सुबह 7:13 और सूर्यस्त का समय शाम 6:30 प्रति रहेगा। राहुकाल का समय सुबह 7:30 बजे से लेकर 9:00 बजे तक रहने वाला है।
राहुकाल के समय में कि गई पूजा पाठ या कोई भी दानपुण्य का कार्य फलित नहीं होता है। राहुकाल को शुभ मुहूर्त नहीं माना जाता है। इस लिए पूरी कोशिश करें की पूजा राहुकाल में न करें । महाविद्या माता तारा की पूजा जीवन में आने वाली सभी विपत्तियों और संकट से मुक्ति दिलाती है। माता की साधना पूर्ण रूप से अघोरी साधना होती है विशेष रूप से तंत्र मंत्र की सिद्धि के लिए माता की पूजा मध्य रात्रि में की जाती है। माता की साधना करने से मनुष्य को अलौकिक सुख के साथ-साथ शांति और समृद्धि भी प्राप्त होती है। माता तारा अपने सभी भक्तों और उपासकों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण भी करती है इसके साथ ही माता को धन से जूडी मुद्दों के लिए भी पूजा जाता है। इनका रंग नीला है इसलिए इन्हे नील सरस्वती भी कहा जाता है। माता अपने भक्तों को मोक्ष भी प्रदान करती है। उनकी पूजा करने से काम क्रोध और लोभ से भी मुक्ति मिल जाती है।
भगवान शिव द्वार समुद्र मंथन के समय हलाहल विष का पान करने पर उनके शरीर में जो भयावह पैदा हुई उसके निवारण के लिए इन देवी तारा ने माता के स्वरूप में भगवान शिव को अपना अमृतमय दुग्ध बंधन किया था जिसके करण भगवान शिव को समस्त प्रकारों के शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिल गई थी।
देवी तारा नर खप्परों और हड्डियों की मालाओं से सुशोभित है। सरपोन को आभूषण के रूप में यह धारणा करती है देवी तारापीठ मुद्रा अर्थत जैसे की एक वीर योद्धा अपने दहिने जोड़ी को आगे करके युद्ध लड़ने के लिए तैयार होता है। उसी प्रकार धारण कर शव या चेतना राहत शिव के ऊपर आरुढ़ है। देवी के मस्तक पंच कपालों से सुशचित है और नव योवन संपन्न है। नीलकमल के समान तीन नेत्रों से युक्त है।और छोटे कद की है कहीं-कहीं प्रति ये देवी अपनी लज्जा निवारण हेतू बाघंबर भी धारणा करती है
माता तारा को नीले रंग के फूल अर्पित किए जाते हैं। और अनार के दाने अर्पित करने चाहिए। जिन लोगों के शत्रु या विरोधियों ने अक्सर परेशान करते हैं या उनकी वजह से मानसिक तनाव रहता है ऐसे लोगों को गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन माता तारा का ध्यान करके अपने जो भी समस्याएँ हैं अपनी चिंताओं के निवारण हेतू मन से प्रार्थना करनी चाहिए। माता अपने ऐसे भगत की समस्याएँ दूर करके उन्हें शत्रु और विरोधियों से दूर करती है। उनके शत्रु और विरोधी माता तारा की कृपा से शांत हो जाते है। माना जाता है की आज के दिन आपको अपने घर में अपनी माता का सम्मान करना चाहिए हो सके तो माता को प्रिया वास्तु उपहार में देना चाहिए। उनकी पसंद का भोजन उन्हें बनाकर खिलना चाहिए। जिस घर में माता का सम्मान होता है उस घर में सदा माता तारा की कृपा बनी रहती है गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन महाविद्या तारा का ध्यान करके पूजा करने के साथ ही मन ब्रह्मचर्य की पूजा भी करनी चाहिए।
माता तारा का बीज मंत्र
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