कवन सो काज कठिन जग माहि चोपाई’ वाक्यांश केवल शब्दों की एक श्रृंखला नहीं है; यह गहन ज्ञान और जीवन के सबक को समाहित करता है। इसका बार-बार पढ़ने और चिंतन करने से परिवर्तनकारी लाभ हो सकते हैं, जो व्यक्तियों को शक्ति, ज्ञान और लचीलेपन के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार कर सकते हैं।
चौपाई
अंगद कहइ जाउँ मैं पारा। जियँ संसय कछु फिरती बारा।।
जामवंत कह तुम्ह सब लायक। पठइअ किमि सब ही कर नायक।।
कहइ रीछपति सुनु हनुमाना। का चुप साधि रहेहु बलवाना।।
पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना।।
कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं।।
राम काज लगि तब अवतारा। सुनतहिं भयउ पर्वताकारा।।
कनक बरन तन तेज बिराजा। मानहु अपर गिरिन्ह कर राजा।।
सिंहनाद करि बारहिं बारा। लीलहीं नाषउँ जलनिधि खारा।।
सहित सहाय रावनहि मारी। आनउँ इहाँ त्रिकूट उपारी।।
जामवंत मैं पूँछउँ तोही। उचित सिखावनु दीजहु मोही।।
एतना करहु तात तुम्ह जाई। सीतहि देखि कहहु सुधि आई।।
तब निज भुज बल राजिव नैना। कौतुक लागि संग कपि सेना।।
हनुमानजी का चमत्कारी चौपाई”श्री बागेश्वर धाम सरकार” श्री धीरेन्द्र कृष्ण जी महाराज के दिव्य स्वर मे श्री रामचरितमानस जी की सिद्ध चौपाई।
“कवन सो काज कठिन जग माही जो नही होइ तात तुम पाही”| kavan so kaj kathin jag mahi
हनुमानजी का चमत्कारी चौपाई का 108 बार जाप इस चौपाई से श्री हनुमानजी स्वयं भक्त के कार्यो को सिद्ध कर देते है यह चौपाई बहुत ही विलक्षण व शक्तिशाली है। इस हनुमानजी का चमत्कारी चौपाई का प्रतिदिन 108 बार पाठ करने से भूत बाधा, कलह-क्लेश बाधा, तंत्र बाधा, संकट, मसान बाधा, वशीकरण, सम्मोहन, नकारात्मक बाधा, कार्यो मे रूकावट आदि बाधाए हमेशा के लिए दूर हो जाती है।
इस पंक्ति में जामवंत हनुमान जी से कहते हैं कि ऐसा कोई भी काम नहीं करता जो तुम नहीं कर सकते हो और जामवंत जी की इस बात को सुनकर हनुमान जी सभी शक्तियां जागृत हो गई थीं। और हनुमान जी ने विशाला आकर ले लिया और लंका की तरह चल पड़े माता सीता की खोज में।
अगर कोई इन पंक्तियों को 108 बार सच्चे हार्ट से पढता है तो हनुमान जी खुद उसकी हेल्प करने आते हैं।
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