‘कवन सो काज कठिन जग माहि चोपाई’ तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस का एक गहन श्लोक है जो जीवन की चुनौतियों का सार और लचीलेपन और दृढ़ संकल्प के साथ कठिनाइयों का सामना करने की आवश्यकता को दर्शाता है। इसके महत्व और इसे पढ़ने के लाभों की खोज करने से वास्तव में ढेर सारी सामग्री भर सकती है।
मूल रूप से इस श्लोक का तात्पर्य यह है कि इस संसार में कोई भी कार्य कठिनाइयों से रहित नहीं है। प्रत्येक प्रयास, चाहे कितना भी नेक या आवश्यक क्यों न हो, चुनौतियाँ शामिल होती हैं। हालाँकि, कविता इन चुनौतियों पर काबू पाने में दृढ़ता और साहस के महत्व पर भी जोर देती है।
इन शब्दों को पढ़ने और मनन करने से कई लाभ मिलते हैं। आइए कुछ महत्वपूर्ण फायदों के बारे में जानें:
- मानसिक शक्ति : यह कविता व्यक्तियों को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने के लिए मानसिक शक्ति और लचीलापन विकसित करने के लिए प्रेरित करती है। यह जीवन की यात्रा के हिस्से के रूप में चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित करता है और दृढ़ संकल्प के साथ उनका सामना करने की मानसिकता को बढ़ावा देता है।
- भावनात्मक स्थिरता: इन शब्दों को बार-बार पढ़ने से भावनात्मक स्थिरता की भावना पैदा हो सकती है। यह हमें याद दिलाता है कि कठिनाइयाँ जीवन का अपरिहार्य हिस्सा हैं और उन्हें समभाव से स्वीकार करने में मदद मिलती है।
- प्रेरणा और प्रेरणा: यह कविता कठिन समय के दौरान प्रेरणा और प्रेरणा के स्रोत के रूप में कार्य करती है। यह व्यक्तियों को बाधाओं के बावजूद आगे बढ़ते रहने और सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करता है।
- धैर्य की खेती: यह धैर्य और सहनशक्ति का गुण सिखाता है। संदेश पर मनन करने से, व्यक्ति आशा या उत्साह खोए बिना कठिन परिस्थितियों से धैर्यपूर्वक निपटना सीख सकता है।
- आध्यात्मिक चिंतन: तुलसीदास के शब्दों में अक्सर गहरा आध्यात्मिक अर्थ होता है। उन्हें पढ़ने और उन पर विचार करने से आत्मनिरीक्षण हो सकता है, जिससे व्यक्ति अपने आध्यात्मिक स्वयं से जुड़ सकते हैं और जीवन में गहरे अर्थ तलाश सकते हैं।
बुद्धि का विकास: इन शब्दों पर निरंतर चिंतन करने से बुद्धि का विकास हो सकता है। यह व्यक्तियों को चुनौतियों की क्षणिक प्रकृति और उनका शालीनता से सामना करने की बुद्धिमत्ता को समझने में मदद करता है। - उन्नत समस्या-समाधान कौशल: नियमित रूप से श्लोक पर विचार करने से बेहतर समस्या-समाधान कौशल विकसित करने में मदद मिल सकती है। यह व्यक्तियों को रणनीतिक और तर्कसंगत मानसिकता के साथ कठिनाइयों का सामना करने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।
- बेहतर फोकस और एकाग्रता: नियमित रूप से इन शब्दों के साथ जुड़ने से फोकस और एकाग्रता में वृद्धि हो सकती है। यह चिंतनशील अभ्यास को प्रोत्साहित करता है जो दिमाग को तेज करता है और संज्ञानात्मक क्षमताओं में सुधार करता है।
- आंतरिक शांति को बढ़ावा: यह श्लोक जीवन की चुनौतियों को स्वीकार करने पर जोर देता है। यह स्वीकृति आंतरिक शांति का कारण बन सकती है क्योंकि व्यक्ति अत्यधिक प्रतिरोध या परेशानी के बिना कठिनाइयों को स्वीकार करना सीखते हैं।
- दैनिक जीवन में अनुप्रयोग: श्लोक के सार को समझने से दैनिक जीवन में इसका व्यावहारिक अनुप्रयोग हो सकता है। यह निर्णय लेने और कार्यों को प्रभावित कर सकता है, व्यक्तियों को संतुलित दृष्टिकोण के साथ चुनौतियों का सामना करने के लिए मार्गदर्शन कर सकता है।
संक्षेप में, ‘कवन सो काज कठिन जग माहि चोपाई’ वाक्यांश केवल शब्दों की एक श्रृंखला नहीं है; यह गहन ज्ञान और जीवन के सबक को समाहित करता है। इसका बार-बार पढ़ने और चिंतन करने से परिवर्तनकारी लाभ हो सकते हैं, जो व्यक्तियों को शक्ति, ज्ञान और लचीलेपन के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार कर सकते हैं।
चौपाई
अंगद कहइ जाउँ मैं पारा। जियँ संसय कछु फिरती बारा।।
जामवंत कह तुम्ह सब लायक। पठइअ किमि सब ही कर नायक।।
कहइ रीछपति सुनु हनुमाना। का चुप साधि रहेहु बलवाना।।
पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना।।
कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं।।
राम काज लगि तब अवतारा। सुनतहिं भयउ पर्वताकारा।।
कनक बरन तन तेज बिराजा। मानहु अपर गिरिन्ह कर राजा।।
सिंहनाद करि बारहिं बारा। लीलहीं नाषउँ जलनिधि खारा।।
सहित सहाय रावनहि मारी। आनउँ इहाँ त्रिकूट उपारी।।
जामवंत मैं पूँछउँ तोही। उचित सिखावनु दीजहु मोही।।
एतना करहु तात तुम्ह जाई। सीतहि देखि कहहु सुधि आई।।
तब निज भुज बल राजिव नैना। कौतुक लागि संग कपि सेना।।
हनुमानजी का चमत्कारी चौपाई”श्री बागेश्वर धाम सरकार” श्री धीरेन्द्र कृष्ण जी महाराज के दिव्य स्वर मे श्री रामचरितमानस जी की सिद्ध चौपाई।
“कवन सो काज कठिन जग माही जो नही होइ तात तुम पाही”| kavan so kaj kathin jag mahi
हनुमानजी का चमत्कारी चौपाई का 108 बार जाप इस चौपाई से श्री हनुमानजी स्वयं भक्त के कार्यो को सिद्ध कर देते है यह चौपाई बहुत ही विलक्षण व शक्तिशाली है। इस हनुमानजी का चमत्कारी चौपाई का प्रतिदिन 108 बार पाठ करने से भूत बाधा, कलह-क्लेश बाधा, तंत्र बाधा, संकट, मसान बाधा, वशीकरण, सम्मोहन, नकारात्मक बाधा, कार्यो मे रूकावट आदि बाधाए हमेशा के लिए दूर हो जाती है।
इस पंक्ति में जामवंत हनुमान जी से कहते हैं कि ऐसा कोई भी काम नहीं करता जो तुम नहीं कर सकते हो और जामवंत जी की इस बात को सुनकर हनुमान जी सभी शक्तियां जागृत हो गई थीं। और हनुमान जी ने विशाला आकर ले लिया और लंका की तरह चल पड़े माता सीता की खोज में।
अगर कोई इन पंक्तियों को 108 बार सच्चे हार्ट से पढता है तो हनुमान जी खुद उसकी हेल्प करने आते हैं।
जानिए किस-किस देव ने हनुमान जी को कौन- कौन से वरदान दिए और क्यों ;
आखिर क्यों कहा जाता है उन्हें अष्ट सिद्धि और नव निधि के दात्ता।
हनुमान जी की शक्तियों के किसे आप सभी ने सुने होंगे। आप सब ने हनुमान जी के बचपन से जुड़ा यह किस्सा भी तो सुना होगा की एक बार हनुमान जी सूर्य को फल समझ कर इस्तेमाल करने के लिए चलें जाते हैं। उन्हें देख कर सभी देवता और पृथ्वी वासी घबरा जाते हैं कि अगर हनुमान जी ने सूर्य को खा लिया तो क्या होगा। इस वजह से हनुमान जी को रोकने के लिए देवताओं के राजा इंद्रदेव ने हनुमान जी पर अपने वज्र से प्रहार किया। जिसके प्रहार से हनुमान जी निषेध होकर पृथ्वी पर गिर जाते हैं। क्योंकि हनुमान पवन पुत्र है इसलिए पवन देव को क्रोध में आने की बजह से समस्त संसार में हाहाकार मच जाता है।
जानवर- इंसान सब एक-एक कर मरने लगते हैं। यह सब देख कर समस्त देवता संसार के निर्माण कर्ता ब्रह्मा जी के पास जाते हैं। और पूरी बात उन्हें बताते हैं तब ब्रह्मा जी हनुमान जी को स्पर्श करके उन्हें ठीक करते हैं लेकिन उसी दौरन वहां पर समस्त देवी देवता आ जाते है। सभी देवता ने मिल कर हनुमान जी को वरदान दिए आइये जानते है कोण से देवता ने कौन- कौन से वरदान दिए;
सूर्य देव;
सबसे पहले बात करते हैं सूर्य देव की। सूर्य देव ने हनुमान जी को आशीर्वाद के साथ अपने तेज का सोनवा हिंसा देते हुए कहा कि जब हनुमान के अंदर शास्त्र अध्ययन को ग्रहण करने की शक्ति आ जाएगी तब बह खुद हनुमान जी को शस्त्रों का अध्ययन करबाएंगे। जिसके बाद वो संसार के सर्वश्रेष्ठ वक्ता और शास्त्र ज्ञानी बनेगे ।
यक्षराज कुबेर;
उसके बाद यक्षराज कुबेर ने भी एक खास वरदान दिया कुबेर ने कहा कि किसी भी युद्ध में हनुमान जी के ऊपर किसी भी अस्त्र से प्रहार किया जाए उसका हनुमान जी के ऊपर कोई भी असर नहीं पड़ेगा। यहां तक कि किसी समय मेरा और हनुमान जी का भी युद्ध हो गया तो मेरा गद्दा भी हनुमान जी का बुरा नहीं कर पाएगा।
यमराज;
वही हनुमान जी को यमराज ने वरदान देते हुए कहा कि यह बालक हमेशा ही मेरे दंड से दूर रहेगा यानी कि अमर रहेगा। और कभी भी किसी भी बीमारी का उन्हें सामना नहीं करना पड़ेगा । हनुमान जी की आराधना करने से लोगों के कष्ट भी खत्म होने लगेंगे
भगवान शंकर
भगवान शंकर ने उन्हें वरदान देते हुए कहा कि इस बालक पर मेरे अस्त्रों का भी कोई भी असर नहीं होगा। इसी के साथ कोई भी मुझसे वरदान में प्राप्त किए हुए अस्त्रों से हनुमान जी को नुक्सान नहीं पहुंचा पायेगा। अर्थात कोई भी अस्त्र उनको नहीं मार सकता।
विश्वकर्मा;
वही देव शिल्पी विश्वकर्मा ने भी एक खास वरदान दिया हनुमान जी को वरदान देते हुए देव शिल्पी विश्वकर्मा जी ने कहा कि मेरे बने हुए किसी भी शस्त्र से आपका कोई नुक्सान नहीं होगा। अर्थात हनुमान जी को कोई अस्त्र – शस्त्र नुक्सान नहीं पहुंचा सकता। वह निरोगी और अमर रहेंगे उन्हें कोई नहीं मर पायेगा।
इंद्र देवता ;
इंद्र देवता ने भी बरदान देते समय कहा कि आज के बाद इस बालक पर मेरे वज्र का कोई ऐसा नहीं होगा अर्थात मेरे वज्र से भी आपका वध नहीं किया जा सकेगा। और आप कहीं पर भी किसी भी समय यात्रा कर सकते हैं अर्थात कि वह एक पल पाताल लोक तो दूसरे पल स्वर्ग लोक पहुंच सकते हैं और वही तीसरे पल वो परलोक भी पहुंच सकते हैं।
वरुण देव
वही जल देव यानी की वरुण देव ने उन्हें खास वरदान दिया वरुण देव ने कहा की उनकी आयु जब 10,00000 वर्ष की हो जाएगी तो भी उनकी मेरे पास और जल के बंधन से मुक्त रहेंगे। और इससे उन्हें कोई भी मृतियो से जुडी हानि नहीं होगी।
ब्रह्मा देव ;
ब्रह्मा जी ने उनको दीर्घायु का आशीर्वाद के साथ वरदान देते हुए कहा कि किसी भी युद्ध में इस बालक को कोई भी नहीं हरा पाएगा किसी भी प्रकार के भ्रमदंड का उन पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा। ना ही उनसे हनुमान का वध किया जा सकेग वह अपनी इच्छा से ही किसी का भी रूप धारण कर पाएंगे पल भर में जहां जाना चाहते हैं वहां जा पाएंगे । इन सबके साथ यह वरदान भी दिया कि उनकी गति उनकी इच्छा के अनुसर तेज या घीमी हो सकेगी।उनका कद जितना वो चाहते हैं उतना बड़ा हो जाएगा जितना वह चाहते है उतना छोट वह कर पाएंगे। जितनी शक्ति वह अपने अंदर समाना चाहेंगे समा पाएंगे।
माता सीता ;
माता सीता ने भी हनुमान जी को वरदान दिया था यह बात तब की है जब श्री राम और माता सीता का मिलन हुआ और उसके बाद जब वह हनुमान जी से भेंट हुई तब माता सीता ने अशोक वाटिका में हनुमान जी को अमर होने का वरदान दिया था भगवान राम ने उनको अपनी इच्छा के अनुसार सबसे बड़ा राम भक्त बोलने का वरदान दिया था। रामायण में भी इस बात का उल्लेख मिलता है की राम भगवन ने भी हुनमान जी को अमर रहने का वरदान दिया है। अगर आपको हमारी ये जानकारी अच्छी लगी हो तो कमेंट बॉक्स में जय श्री राम और जय हनुमान जरूर लिखना।
।जय श्री राम और जय हनुमान।
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