एक समय की बात है। किसी राज्य में एक व्यापारी रहा करता था। उस व्यापारी की एक छोटी सी बेटी थी, जिसका नाम था एला। एला बहुत ही प्यारी और नेक बच्ची थी। उसके पिता उससे बहुत प्यार करते थे और उसकी सारी ज़रूरतें पूरी करते थे। लेकिन एला की ज़िन्दगी में एक चीज़ की कमी थी वह थी, उसकी माँ जो उसे छोड़ कर भगवान् के घर चली गयी थी। एला की इस कमी को पूरा करने के लिए उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली। एला की नयी माँ की दो बेटियाँ थीं। वह बहुत खुश थी कि माँ के साथ साथ उसे बहने भी मिल गयी थी। दोनों बहने बहुत घमंडी थी, लेकिन एला उनसे प्यार करती थी और अपनी नयी माँ को भी बहुत चाहती थी।
एला की खुशियाँ ज़्यादा दिन टिक नहीं पायीं। एक दिन जब उसके पिता अपने काम से किसी दूसरे शहर गए, तो फिर कभी वापस नहीं आये। एला पर तो मानो मुश्किलों का पहाड़ टूट गया हो। पिता का साया सर से उठते ही उसकी माँ और बहने उसके घर की मालकिन हो गई और एला के साथ नौकरों जैसा बर्ताव करने लगीं। उन्होंने घर के सारे नौकरों को निकाल दिया और अब एला ही घर का सारा काम करती। उसकी बहनो ने तो उसका कमरा भी उससे छीन लिया और उसे एक कोठरी में रहने के लिए छोड़ दिया। एला अपनी बहनों के पुराने कपड़े और जूते पहनती। सारा दिन उनके काम करती। कभी कभी तो एला इतनी थक जाती कि अंगीठी के पास ही सो जाती। अकसर एला जब सुबह उठती तो अंगीठी की राख (सिंडर) उस पर पड़ी होती। उसकी बहने उसे सिंडर-एला कह के चिढ़ाती और इस तरह उसका नाम एला से सिंडरेला हो गया।
एक दिन राज्य में ऐलान हुआ कि महल में एक बहुत बड़ा आयोजन है और राज्य की सभी लड़कियों की बुलाया गया है ताकि राजकुमार अपनी पसंद की लड़की से शादी कर सके। राज्य की सारी लड़कियां बहुत खुश और उत्साहित थीं। सिंड्रेला और उसकी बहने भी अपनी किस्मत आज़माने को बेचैन थी। लेकिन फिर सिंड्रेला की ये खुशी उसकी सौतेली माँ को रास नहीं आई और उसने सिंड्रेला को महल में जाने से मना कर दिया। बेचारी सिंड्रेला दुखी मन से फिर अपने काम में लग गयी और सोचती रही, कि इस वक़्त उसकी बहने क्या कर रही होंगी और राजकुमार देखने में कैसा होगा।
सिंड्रेला जब इन खयालो में खोई हुई थी, तभी वहां एक जादूगरनी आई। उसने सिंड्रेला को दुखी देखा तो उसकी मदद करनी चाही। सिंड्रेला ने सारी बात जादूगरनी को बताई। जादूगरनी ने सिंड्रेला से कहा, “ओह! प्यारी सिंड्रेला, मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ। ” यह कह कर जादूगरनी ने अपनी छड़ी घुमाई और वहाँ पड़े एक बड़े से कद्दू को एक बग्घी मे बदल दिया। वहीं चार चूहे उछल कूद मचा रहे थे, जादूगरनी की नज़र उनपर पड़ी तो उसने चूहों को घोड़ा बना दिया। अब जरूरत थी एक कोचवान की। जादूगरनी ने चारों तरफ नज़र घुमाई तो उसे एक मेंढक दिखा और उसे कोचवान में बदल दिया। सिंड्रेला यह सब देख हैरान हो रही थी कि तभी जादूगरनी उसकी तरफ मुड़ी और अपनी जादू की छड़ी घुमा दी, और पलक झपकते ही सिंड्रेला के मटमैले और फ़टे हुए कपड़े साफ और सुंदर हो गए। उसके पैरों में टूटी हुई चप्पल की जगह सुंदर कांच की जूती आ गई। अब सिंड्रेला महल मे जाने के लिए तैयार थी। जादूगरनी ने सिंड्रेला को विदा करते हुए कहा, “बेटी, तू अपनी इच्छा पूरी कर ले, लेकिन याद रखना रात १२ बजते ही यह सारा जादू खत्म हो जाएगा।
सिंड्रेला जब महल पहुंची तो सबकी नज़रे उसी को देखने लगी। वह बहुत ही सुंदर लग रही थी। राजकुमार ने जब उसके साथ डांस करना चाहा तो सिंड्रेला की सौतेली बहनों के साथ साथ वहां मौजूद सभी लड़कियाँ सिंड्रेला से जलने लगीं। लेकिन कोई सिंड्रेला को पहचान नही पाया। राजकुमार ने उसे देखते ही फैसला कर लिया था कि वह इसी लड़की से शादी करेगा। सिंड्रेला भी राजकुमार की आखों में ऐसी डूबी कि उसे जादूगरनी की बात याद ही नही रही। देखते ही देखते १२ बज गए। घंटी बजते ही सिंड्रेला को याद अया कि १२ बजे जादू खत्म हो जाना था। सिंड्रेला बिना राजकुमार से कुछ कहे वहाँ से भाग निकली। वह नही चाहती थी कि राजकुमार उसे उसके पुराने, गंदे कपड़ो मे देखे और उससे नफरत करे। भागते वक्त सिंड्रेला की कांच की एक जूती महल में ही छूट गयी जो राजकुमार ने उठा ली। राजकुमार ने बहुत कोशिश की सिंड्रेला को ढूँढने की लेकिन वह उसे कहीं नही मिली। सबने राजकुमार से उसे भूल जाने को कहा लेकिन राजकुमार सिंड्रेला को भूल नही पा रहा था।
आखिरकार सारे राज्य मे ऐलान हुआ कि जिस लड़की के पैरों मे वह जूती आएगी राजकुमार उसी से शादी करेंगे। राज्य मे तो जैसे तूफान आ गया था। हर लड़की राजकुमार से शादी करना चाहती थी। सभी लड़किया अपने आप को उस कांच की जूती की मालकिन बताने लगी। लड़कियों के घर जा जा कर उन्हें जूती पहनाई गयी लेकिन उनमें से किसी को भी वह पूरी नही आई। आखिर में सिंड्रेला की बहनों की बारी आई। दोनो ने हर कोशिश की जूती पहनने की लेकिन कोई फायदा नही हुआ। अब सबकी नज़रे सिंड्रेला पर रुक गयीं। सिंड्रेला ने जब उसे पहना तो वह जूती उसके पैर मे आ गयी जैसे उसी के लिए बनी हो। सिंड्रेला की सौतेली माँ और बहने हैरान और परेशान हो गयीं। किसी को भी उम्मीद नही थी कि वह सुंदर लड़की सिंड्रेला हो सकती है।
राजकुमार ने जब सिंड्रेला से शादी के लिए पूछा तो सिंड्रेला ने खुशी खुशी हाँ कर दी। अगले ही दिन बड़ी धूम धाम के साथ सिंड्रेला की शादी राजकुमार से हो गयी। राजकुमार और सिंड्रेला एक दूसरे के साथ बहुत खुश थे और एक दूसरे को बहुत चाहते थे। दूसरी तरफ सिंड्रेला की सौतेली माँ और बहनों को सिंड्रेला के साथ बुरा व्यवहार करने की सज़ा के रूप मे राज्य छोड़ कर जाना पड़ा।
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