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कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान और दीपदान का है पौराणिक महत्व | Kartik Maas 2023 Festivals

Published on November 24, 2023 by Editor

कार्तिक पूर्णिमा को वेद, पुराण और तांत्रिक साहित्य में महत्व दिया गया है। इस दिन का स्नान और दीपदान का विशेष महत्व है।कार्तिक पूर्णिमा को ‘दीपावली’ के पहले दिन के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और लक्ष्मी माता की आराधना का विशेष महत्व है।कार्तिक मास में जल्दी से डूबने वाली सूर्य चंद्रमा एक साथ दिखाई देते हैं, जो ब्रह्मांड में अद्वितीय सम्बन्ध का प्रतीक है। इसलिए, कार्तिक पूर्णिमा को ब्रह्मांडीय संरेखन का समय माना जाता है

स्नान और दीपदान का रहस्य है इस दिन सूर्य और चंद्रमा के परस्पर सम्बन्ध को बढ़ावा देना। इसलिए इस दिन स्नान और दीपों का जादू माना जाता है जो शुभता और उत्सव का प्रतीक है।यह पौराणिक दिन सूर्य की उदय से लेकर चंद्रमा की अगमन तक के समय को विशेष बनाता है, और साथ ही इसमें भगवान शिव, पार्वती, विष्णु, लक्ष्मी, और कर्तिकेय की पूजा भी की जाती है।इस पौराणिक दिन पर दीपों का दान करते समय लोग संकल्प करते हैं कि यह दीप संसार के अंधकार को दूर करें और जीवन में प्रकाश और खुशियां लेकर आएं।

कार्तिक पूर्णिमा स्नान और दीपदान का पौराणिक महत्व

कार्तिक पूर्णिमा को भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व दिया जाता है। इस दिन का महत्व पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में व्यापक रूप से उल्लेखित है। यहां कुछ अन्य पौराणिक महत्त्वपूर्ण तत्व हैं:

तुला स्नान: कार्तिक मास में स्नान करने का महत्त्व अत्यंत उच्च माना जाता है। इसे ‘तुला स्नान’ कहा जाता है, जिसमें व्यक्ति किसी स्थल पर स्नान करता है जहां सूर्य और चंद्रमा दोनों दिखाई दे सकते हैं। इसका मान्यता से इसे पुण्यदान में बड़ा महत्त्व दिया जाता है।

दीपदान: कार्तिक पूर्णिमा पर दीपों का दान करने का महत्व अत्यधिक होता है। दीपों को जलाकर भगवान शिव, पार्वती, कर्तिकेय, लक्ष्मी-नारायण, और गणेश की पूजा की जाती है। यह दीपों का प्रकाश अंधकार को दूर करके जीवन में प्रकाश और सुख-शांति लाने का संकल्प दिखाता है।

धर्मिक स्नान: कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी, नर्मदा, और अन्य तीर्थ स्थलों में स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है। यह स्नान धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व के साथ ही आत्मिक शुद्धि और पुण्य का स्रोत माना जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान और दीपदान का महत्व हमें शुभता, प्रकाश, और आनंद की ओर आगे बढ़ाता है। यह समय अपने आप में एक महान धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव का प्रतीक है जो मानवता के लिए प्रकाश का प्रतीक है।कुंडली में दोष को दूर किया जाए सकता है

पुजारी के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा का खास महत्व है। इस दिन जो भी भक्त श्रद्धा भक्ति भाव से पूजा करते हैं उन्हें अपनी समस्याओं से राहत मिलती है। इसके साथ ही जन्म कुंडली में मौजूद दोष को भी पूजा कर दूर किया जा सकता है। यह दिन उपवास रखकर पूजा पाठ करने से सभी दुखों को दूर किया जा सकता है। इसे बेहद ही शुभ पूर्णिमा व शुभ दिन माना गया है।

कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान दान का है महत्व

पुजारी के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन नदी तालाब आदि पवित्रा स्थानों पर स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा गया है कि इस दिन गंगा स्नान करने से साल भर भूल चूक हुई गलतियों से क्षमा प्राप्ति होती है। कई बुजुर्ग लोग गंगा स्नान जाने के लिए संभव नहीं है तो घर पर ही पवित्र गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। इसके बाद दीपदान करने का भी अत्यंत अधिक महत्व है। इसके बाद कई लोग अपनी इच्छा अनुसार दान कर पुण्य के भागी भी बनते हैं।

कार्तिक मास मोक्ष का द्वार (Kartik Maas 2023 Date)

हिंदू धर्म में कहा गया है कि पूरे कार्तिक माह में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर जो जातक गंगा स्नान करता है उसे धरती के सभी तीर्थों का पुण्य प्राप्त होता है।कार्तिक मास में दीपदान का भी विशेष महत्व बताया गया है. पद्म पुराण, नारद पुराण और स्कन्द पुराण में कार्तिम मास की विशेष महिमा है।इस मास में किए गए पूजा, दान, धर्म -कर्म सीधे देवों तक पहुंचता है, इसलिए इसे मोक्ष का द्वार भी कहा गया है।

कार्तिक मास का पूरा माह तीज-त्योहारों भरा (Kartik Maas 2023 Festivals)

कार्तिक माह में कार्तिक स्नान के साथ त्योहारों का दौर शुरू हो जाएगा। त्योहारों में सबसे पहले 1 नवंबर को करवाचौथ, 5 नवंबर को अहोई अष्टमी, 9 को रंभा एकादशी व्रत, 10 को धनतेरस, 12 को नरक चतुर्दशी, 12 को दिवाली, 13 को गोवर्धन पूजा, 14 को भाई दूज, 17 नवंबर से 20 नवंबर, देवुत्थान एकादशी – 23 नवंबर, 2023,तुलसी विवाह – 24 नवंबर, 2023 होगी. इस तरह पूरे महीना तीज-त्योहारों के साथ बीतेगा।

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