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Shani Jayanti 2023: कब है शनि जयंती, जानें शुभ मुहूर्त और शनिदेव के पूजन की खास विधि

Published on May 11, 2023 by Editor

इस बार शनि जयंती 19 मई 2023, शुक्रवार को मनाई जाएगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव न्यायप्रिय देवता हैं. शनि देव भगवान सूर्य और छाया के पुत्र माने जाते हैं. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शनि को पापी ग्रह माना जाता है. शनिग्रह सबसे धीमी चाल चलने वाला ग्रह है, जिसको शनि की ढैय्या कहा जाता है.

Shani Jayanti 2023: शनिदेव न्याय प्रिय देवता हैं और मनुष्य को उसके कर्मों के आधार पर फल देते हैं. हिंदू पंचांग में ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है. इस दिन पूजा-अर्चना करने से शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. शनि देव भगवान सूर्य और छाया के पुत्र माने जाते हैं. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शनि को पापी ग्रह माना जाता है. शनिग्रह सबसे धीमी चाल चलने वाला ग्रह है, जिसको शनि की ढैय्या कहा जाता है.
शनि जयंती पर दान-दक्षिणा का भी विशेष महत्व होता है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार, इस दिन शनिदेव का का जन्म हुआ था. इस बार शनि जयंती 19 मई, शुक्रवार को मनाई जाएगी. इस दिन शनि देव के पूजन का विशेष विधान है. शनि न्याय करने वाले देव हैं और मनुष्यों को उनके कर्मों के आधार पर फल देते हैं इसलिए जब व्यक्ति बुरे कर्म करता है तो शनिदेव उसे दंड देते हैं और अच्छे कर्म करने वालों को अच्छे परिणाम देते हैं।

Table of Contents

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  • शनि जयंती शुभ मुहूर्त (Shani Jayanti 2023 Shubh Muhurat)
  • शनि जयंती शुभ संयोग (Shani Jayanti 2023 Shubh Sanyog)
  • शनि जयंती पूजन विधि (Shani jayanti Pujan vidhi)
  • ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न
  • श्री शनि चालीसा 
  • आरती शनि देव जी की 

शनि जयंती शुभ मुहूर्त (Shani Jayanti 2023 Shubh Muhurat)

शनि जंयती – 19 मई 2023, शुक्रवार
अमावस्या तिथि प्रारंभ – मई 18, 2023 को रात 09 बजकर 42 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त – मई 19, 2023 को रात 09 बजकर 22 मिनट तक

शनि जयंती शुभ संयोग (Shani Jayanti 2023 Shubh Sanyog)

शनि जयंती के दिन शोभन योग का निर्माण होने जा रहा है, जो 18 मई को शाम 07 बजकर 37 मिनट से 19 मई को शाम 06 बजकर 16 मिनट तक रहेगा. साथ ही वट सावित्री व्रत और ज्येष्ठ अमावस्या भी पड़ रही है. वहीं, इस दिन शनि देव स्वराशि कुंभ में विराजमान रहेंगे, जिससे शश योग बन रहा है. ऐसे में शनि देव की पूजा से शुभ फल की प्राप्ति होगी. इसके साथ इस दिन चंद्रमा गुरु के साथ मेष राशि में होंगे जिससे गजकेसरी योग बन रहा है।

शनि जयंती पूजन विधि (Shani jayanti Pujan vidhi)

शास्त्रों के अनुसार, शनि जयंती पर शनिदेव की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है. इस दिन प्रात: काल उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं. शनिदेव की मूर्ति पर तेल, फूल माला और प्रसाद अर्पित करें. उनके चरणों में काले उड़द और तिल चढ़ाएं. इसके बाद तेल का दीपक जलाकर शनि चालिसा का पाठ करें. इस दिन व्रत करने से भी शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. शनि जयंती के दिन किसी निर्धन व्यक्ति को भोजन कराना बेहद शुभ फल देता है।

माना जाता है कि इस दिन दान आदि करने से जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं. आमतौर पर लोगों में शनिदेव को लेकर डर देखा गया है. कई ऐसी धाराणाएं बनी हुई हैं कि शनिदेव सिर्फ लोगों का बुरा करते हैं. पर सत्य इससे बिल्कुल परे हैं. शास्त्रों के अनुसार, शनिदेव व्यक्ति के कर्मों के अनुसार उसकी सजा तय करते हैं. शनि की साढ़ेसाति और ढैय्या मनुष्य के कर्मों के आधार पर ही उसे फल देती है।

ऐसे करें शनिदेव को प्रसन्न

शास्त्रों में शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कई मंत्र इजात किए गए हैं. इन मंत्रों के जाप से शनिदेव प्रसन्न भी होंगे और जीवन के संकट भी दूर होंगे. शनि जयंती की शाम को पश्चिम दिशा की ओर एक दीपक जलाएं. इसके बाद “ऊं शं अभयहस्ताय नमः” का जप करें और कम से कम 11 माला “ऊं शं शनैश्चराय नमः” का जप करें. इसके अलावा, ” ऊं नीलांजनसमाभामसं रविपुत्रं यमाग्रजं छायामार्त्तण्डसंभूतं तं नमामि शनैश्चरम” मंत्र का जाप करने से भी शनिदेव को प्रसन्न किया जा सकता है
शनि जयंती एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भगवान शनि के जन्म का जश्न मनाता है, जिन्हें न्याय और कर्म का देवता माना जाता है। त्योहार ज्येष्ठ के हिंदू महीने में अमावस्या तिथि (अमावस्या दिवस) पर मनाया जाता है। 2023 में शनि जयंती 23 मई को मनाई जाएगी।

यहां कुछ उपाय दिए गए हैं जो शनि जयंती पर शनिदेव की कृपा पाने और किसी की कुंडली में शनि के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए किए जा सकते हैं:

  • शनि मंदिर जाएँ: शनि मंदिर जाएँ और भगवान शनि की पूजा करें। शनि मंत्र का जाप करें और देवता को अभिषेकम (पवित्र जल चढ़ाएं) करें।
  • दीया जलाएं: भगवान शनि की मूर्ति या फोटो के सामने तिल के तेल से भरा दीया जलाएं। ऐसा माना जाता है कि इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं और शनि के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।
  • शनि मंत्र का जाप करें: शनि मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करने से व्यक्ति की कुंडली में शनि के नकारात्मक प्रभाव को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • गरीबों को दान करें: शनि जयंती पर गरीबों को भोजन, वस्त्र या धन का दान करें। ऐसा माना जाता है कि यह अच्छे कर्म लाता है और शनि के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है।
  • काले रंग के कपड़े पहनें शनि जयंती के दिन काले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि काला रंग धारण करने से शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है।
  • व्रत: शनि जयंती का व्रत शनि के नकारात्मक प्रभावों को कम करने का एक कारगर उपाय माना जाता है। इस दिन पूर्ण उपवास या आंशिक उपवास रख सकते हैं।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये उपाय किसी ज्योतिषी से परामर्श करने या चिकित्सा सलाह लेने का विकल्प नहीं हैं। साथ ही, इन उपायों को किसी विद्वान पुजारी या गुरु के मार्गदर्शन में करने की सलाह दी जाती है।

 

श्री शनि चालीसा 

दोहा

जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।

दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥

जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।

करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥

जयति जयति शनिदेव दयाला।

करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।

माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥

परम विशाल मनोहर भाला।

टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।

हिय माल मुक्तन मणि दमके॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा।

पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥

पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन।

यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥

सौरी, मन्द, शनी, दश नामा।

भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥

जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं।

रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥

पर्वतहू तृण होई निहारत।

तृणहू को पर्वत करि डारत॥

राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो।

कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥

बनहूँ में मृग कपट दिखाई।

मातु जानकी गई चुराई॥

लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।

मचिगा दल में हाहाकारा॥

रावण की गति-मति बौराई।

रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥

दियो कीट करि कंचन लंका।

बजि बजरंग बीर की डंका॥

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।

चित्र मयूर निगलि गै हारा॥

हार नौलखा लाग्यो चोरी।

हाथ पैर डरवायो तोरी॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो।

तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥

विनय राग दीपक महं कीन्हयों।

तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।

आपहुं भरे डोम घर पानी॥

तैसे नल पर दशा सिरानी।

भूंजी-मीन कूद गई पानी॥

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई।

पारवती को सती कराई॥

तनिक विलोकत ही करि रीसा।

नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी।

बची द्रौपदी होति उघारी॥

कौरव के भी गति मति मारयो।

युद्ध महाभारत करि डारयो॥

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला।

लेकर कूदि परयो पाताला॥

शेष देव-लखि विनती लाई।

रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥

वाहन प्रभु के सात सुजाना।

जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥

जम्बुक सिंह आदि नख धारी।

सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।

हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥

गर्दभ हानि करै बहु काजा।

सिंह सिद्धकर राज समाजा॥

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।

मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।

चोरी आदि होय डर भारी॥

तैसहि चारि चरण यह नामा।

स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥

लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।

धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥

समता ताम्र रजत शुभकारी।

स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥

जो यह शनि चरित्र नित गावै।

कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।

करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई।

विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।

दीप दान दै बहु सुख पावत॥

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।

शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥

दोहा

पाठ शनिश्चर देव को, की हों ‘भक्त’ तैयार।

करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥

आरती शनि देव जी की 

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी ।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥

क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी ।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी ।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥

देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥

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