खाटू श्याम का धाम भारत के राजस्थान राज्य के सीकर जिले में है। हर साल करोड़ों लोग इस इमारत को देखने आते हैं। बहुत से लोग अपनी आस्था के कारण मीलों दूर से पैदल चलकर यहां आते हैं।
बाबा श्याम को मानने वालों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। बहुत समय पहले, सैकड़ों श्याम अनुयायी केवल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशमी को ही यहाँ गायन और प्रार्थना करने आते थे। उसके बाद खाटू श्याम मेला 2023 (फाल्गुन का लक्खी मेला) शुरू हुआ।
श्याम कुंड(Shyam Kund Khatu shyam )
श्री खाटू श्याम जी का शीश जिस धरा के भाग से अवतरित हुआ था वो श्याम कुंड के नाम से जाना जाता है। और ऐसा माना जाता है की इस कुंड में श्याम भक्त सच्चे मन से एक डुबकी लगा ले तो वो अपनी बुराइयों से दूर और अच्छे शरीर का धनि हो जाता है। इसलिए जब भी आपका खाटूश्याम जी बाबा श्याम के दर्शन करने जाना हो श्याम कुंड में दुबकी जरूर लगाना।
श्याम कुंड 2 भागो में बिभक्त है…
1. एक महिला श्याम कुंड
2. एक पुरुष श्याम कुंड
बर्बरीक कुंड की महिमा और कहानी( Shyam Kund Khatu Shyam story)
बाबा श्याम मंदिर की कई मान्यताएं और कहानियां हैं। ऐसा कहा जाता है कि हजारों साल पहले जब यहां केवल कीचड़ था, तो यहां हर दिन एक गाय आती थी और अन्य जानवर भी आते थे और इस जगह पर पहुंचने के बाद गाय अपने आप दूध देने लगती थी। रोज़-रोज़ इस घटना को देखकर पास-पड़ोस के लोगों ने खुदाई शुरू कर दी। गड्ढा खोदना शुरू किया और खोदते-खोदते उसे एक अविश्वसनीय रहस्य का पता चला; दरअसल, खुदाई करते समय जब वह करीब 30 फीट नीचे आए तो उन्हें एक बक्सा मिला, जिस पर लिखा था, ‘बर्बर कथाओं के अनुसार’ तो इस बक्से के अंदर महाभारत काल का बर्बरीक का असली सिर मौजूद था, जिसके बाद वहां के लोगों ने इसे ले लिया और तत्कालीन राजा रतन सिंह को सौंप दिया, अप्रत्याशित बात यह थी कि जिस स्थान से वह सिर आया था वह स्थान बिल्कुल वही था। पानी का तीव्र प्रभाव उस स्थान पर शुरू हुआ जो अंततः श्याम कुंड के रूप में जाना जाने लगा; वार्षिक मेले में शामिल होने वाले भक्त सबसे पहले इस कुंड में आते हैं और स्नान करके बाबा के दर्शन के लिए आगे बढ़ते हैं।
आख़िर बर्बरीक कौन थे (who was Barbarik)?
बर्बरीक महाभारत के एक महान योद्धा थे, उनके पिता घटोत्कच और माता अहिलावती थीं, बर्बरीक को बचपन से ही उनकी माँ ने सिखाया था कि युद्ध हमेशा हारने वाले पक्ष की तरफ से लड़ना चाहिए, और बर्बरीक भी हमेशा युद्ध के मैदान में जाते थे इस सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए कहा जाता है कि बर्बरीक ने भगवान शिव और माता आदिशक्ति की कठोर तपस्या की थी, जिसके बाद भगवान ने खुश होकर बर्बरीक को कुछ सिद्धियां दी थीं, रिपोर्ट के मुताबिक इन सिद्धियों का प्रभाव इतना अधिक था कि उन्हें रोका भी नहीं जा सकता था।पलक झपकते ही महाभारत जैसा विशाल संघर्ष ख़त्म हो सकता है और युद्ध में भाग लेने वाले सभी नायकों की हत्या हो सकती है। लेकिन, अपनी माँ के प्रति प्रतिबद्धता के कारण, भगवान कृष्ण की चिंता इतनी बढ़ गई थी कि, बर्बरीक के संघर्ष में शामिल होने से पहले ही, भगवान कृष्ण ने एक गुरु का रूप धारण किया और उनसे उसका सिर माँग लिया, जिसके बाद उनकी सभी क्षमताएँ नष्ट हो गईं। उन्होंने माँ रणचण्डी को अपना जीवन अर्पित कर दिया और इतने बड़े बलिदान के फलस्वरूप उन्हें शीश दानी के रूप में जाना गया। इस बलिदान को करने के बाद, उनका इरादा अपने बलिदान से संतुष्ट होकर, महाभारत युद्ध को उसके अंत तक देखने को कहा । श्री कृष्ण द्वारा बर्बरीक को आशीर्वाद देने और उनका सिर एक पर्वत पर रख दिया गया ।
आखिर क्या है श्याम कुंड की मान्यताएं
श्याम कुंड को लेकर कई तरह की मान्यताएं जताई जाती है, कहा जाता है कि श्याम कुंड में नहाने से कई पाप दूर हो जाते हैं, और अगर कोई बाबा के दरबार पर पहुंचकर अच्छे और निश्चल मन से कुंड में स्नान करता है तो उसे एक नया शरीर मिल जाता है, इसके अलावा अगर कोई हारा हुआ हो उसका कोई काम न बन रहा हो और वो जाकर बाबा के कुंड में स्नान करे तो बाबा हारे का सहारा बनकर उसका साथ देते हैं, इसके अलावा इस कुंड में नहाने से शरीर और मन दोनों की ही अशुद्धियों का नाश हो जाता है, और अगर किसी स्त्री को पुत्र रत्न की प्राप्ति न हुई हो और वो जाकर बाबा के कुंड में नहा ले तो उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
खाटू श्याम पूजा विधि :
- सर्वप्रथम आप बाबा श्याम की मूर्ति को साफ़ सुथरी जगह विराजमान करें।
- इस जगह आप अगरबत्ती-धूप, घी का दीपक, फूल, पुष्पमाला, कच्चा दूध, भोग सामग्री-प्रसाद – ये सब सामान तैयार रख लें।
- इसके बाद अब श्याम बाबा की फोटो या मूर्ति को पंचामृत या दूध-दही से स्नान करवाएं।
- फिर किसी साफ़ सुथरे, मुलायम कपड़े से जल पोंछकर साफ़ कर दें।
- अब आप श्याम बाबा को पुष्पमाला, फूल चढ़ायें।
- अब आप घी का दीपक जला दें, फिर बाबा श्याम को धूप-अगरबत्ती दिखाएँ।
- अब श्याम बाबा को पहले कच्चा दूध और इसके पश्चात भोग-प्रसाद सामग्री चढ़ाएं।
- भोग लगाने के बाद बाबा श्याम की आरती गाते हुए वन्दना करें।
Shree Shyam Kund ( Shyam Sarovar) Address :
9C84+R6C, Khatoo, Rajasthan 332602
खाटू श्याम बाबा की आरती :
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे |
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे || ॐ
रतन जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुरे |
तन केसरिया बागो, कुण्डल श्रवण पड़े || ॐ
गल पुष्पों की माला, सिर पार मुकुट धरे |
खेवत धूप अग्नि पर दीपक ज्योति जले || ॐ
मोदक खीर चूरमा, सुवरण थाल भरे |
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे || ॐ
झांझ कटोरा और घडियावल, शंख मृदंग घुरे |
भक्त आरती गावे, जय – जयकार करे || ॐ
जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे |
सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम – श्याम उचरे || ॐ
श्री श्याम बिहारी जी की आरती, जो कोई नर गावे |
कहत भक्त – जन, मनवांछित फल पावे || ॐ
जय श्री श्याम हरे, बाबा जी श्री श्याम हरे |
निज भक्तों के तुमने, पूरण काज करे || ॐ
|श्याम कुंड खाटू श्याम की जय |
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