पापमोचिनी एकादशी का पारण तिथि आज, 5 अप्रैल 2024 है।सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। चैत्र माह की पहली एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहा जाता है। इस बार यह व्रत 05 अप्रैल को है। इस तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु के संग धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने के विधान है। साथ ही जीवन में सुख-शांति के लिए व्रत भी किया जाता है।
पापमोचनी एकादशी की कथा
पापमोचनी एकादशी की कथा विष्णु पुराण में वर्णित है। यह कथा धर्मराज यमराज और राजा मंदाता के बीच के दैवता और अन्य साधकों की बातचीत के माध्यम से सुनाई जाती है।
कथा के अनुसार, राजा मंदाता एक बार अपने पिता के दरबार में बैठे हुए थे। वह अपने गुरु ऋषि वासिष्ठ से पूछते हैं कि क्या है जो मनुष्य को पापों से मुक्ति दिला सकता है। उनका अर्थात उन्हें एक ऐसा उपाय चाहिए जिससे वे सभी पापों से मुक्त हो सकें।
ऋषि वासिष्ठ ने उन्हें पापमोचनी एकादशी के व्रत का महत्व और फलों के बारे में बताया। वह कहते हैं कि इस एकादशी का व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यमराज ने भी इसकी महिमा को स्वीकार किया और कहा कि इस व्रत को करने से मनुष्य को परम पद प्राप्त होता है। वह इसे करने से सम्पूर्ण धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इसी प्रकार, ऋषि वासिष्ठ ने राजा मंदाता को पापमोचनी एकादशी के व्रत का महत्व और फलों के साथ कथा सुनाई और राजा मंदाता ने इस व्रत को सम्पूर्ण भक्ति और निष्ठा से माना।
इस प्रकार, पापमोचनी एकादशी की कथा बताते हुए उसका महत्व और व्रत करने के फायदे का वर्णन किया गया है। यह एकादशी व्रत करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और उसे धार्मिकता, शुद्धि, और उत्तम जीवन की प्राप्ति होती है।
यहां शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और पारण का समय दिया गया है:
- पापमोचिनी एकादशी पूजन मुहूर्त: 06:01 से 07:55 तक (5 अप्रैल 2024)
- पापमोचिनी एकादशी पराण मुहूर्त: पारण का समय 05:47 से 08:10 तक (6 अप्रैल 2024)
पूजन विधि:
- पापमोचिनी एकादशी के दिन, उपवास करें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
- भगवान विष्णु की मूर्ति को अपने घर के पूजा स्थल में स्थापित करें और उन्हें दूध, फल, पुष्प आदि से पूजें।
- एकादशी के दिन जागरण करें, भजन की रचना करें और भगवान के नाम का जप करें।
- पापमोचिनी एकादशी की कथा सुनें और भगवान के गुणों का गान करें।
- विशेष रूप से पापमोचिनी एकादशी के दिन दान करें। दान की आदत को बढ़ावा दें और जरूरतमंदों की सहायता करें।
पापमोचिनी एकादशी के पारण का समय योग्य मुहूर्त में किया जाना चाहिए, जिससे आपका उपवास सफल हो सके। आप ऊपर दिए गए मुहूर्त के अनुसार पारण कर सकते हैं।
पापमोचनी एकादशी की पूजा विधि निम्नलिखित रूप से होती है:
- स्नान (शौच): पूजा की शुरुआत में नियमित स्नान करें। इससे शरीर का शुद्धिकरण होता है और मानसिक स्थिरता आती है।
- पूजा स्थल की सजावट: भगवान विष्णु की मूर्ति या छवि को स्थापित करें। पूजा स्थल को साफ़ और सुंदर बनाएं।
- अभिवादन: पूजा की शुरुआत में भगवान विष्णु का अभिवादन करें।
- अष्टोत्तरशत नामावली पाठ: भगवान विष्णु के 108 नामों का पाठ करें।
- धूप, दीप, नैवेद्य: धूप, दीप, और नैवेद्य को भगवान को समर्पित करें।
- भजन और कीर्तन: पापमोचनी एकादशी के महत्व को याद करते हुए भजन और कीर्तन का आयोजन करें।
- कथा श्रवण: पापमोचनी एकादशी की कथा को सुनें और उसका महत्व समझें।
- प्रार्थना और अर्पण: अपनी मनोकामनाओं को भगवान के समक्ष रखें और प्रार्थना करें।
- व्रत का उपवास: पूजा के दौरान व्रत का उपवास करें और अन्य पापमोचनी एकादशी के नियमों का पालन करें।
- व्रत का पारण: पापमोचनी एकादशी के अनुसार व्रत का पारण करें और भगवान का प्रसाद लें।
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