इस बार माघ अमावस्या 9 फरवरी को है। शास्त्रों में माघ के महीने को दान-पुण्य, पूजा-पाठ आदि के लिए बहुत शुभ एवं पुण्यकारी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन ऋषि मनु का जन्म हुआ था, इसलिए इसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है।
आज सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर मौनी अमावस् आरम्भ होगी और यह 10 फरवरी को सुबह 4 बजकर 28 मिनट तक रहेगी। इसलिए मौनी अमावस्या का स्नान और दान 9 फरवरी को होगा।
मौनी अमावस्या यानी कि मौन रहकर ईश्वर की साधना करने का अवसर। इस तिथि को मौन एवं संयम की साधना, स्वर्ग एवं मोक्ष देने वाली मानी गई है।शास्त्रों में मौनी अमावस्या पर मौन रखने का विधान बताया गया है। यदि किसी व्यक्ति के लिए मौन रखना संभव नहीं हो तो वह अपने विचारों को शुद्ध रखें मन में किसी तरह की कुटिलता नहीं आने दें। आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी वाणी का शुद्ध और सरल होना अति आवश्यक है।
मौनी अमावस्या का धर्म शास्त्रों में बहुत ही खास महत्व माना गया है। इस दिन व्रत रखकर भगवान की पूजा पाठ में मन लगाना चाहिए। संभव हो सके तो इस दिन गंगा में स्नान जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से सभी पाप दूर होते हैं और विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
मौनी अमावस्या पर स्न्नान, दान का महत्व
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन मनुष्य को मौन रहते हुए गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। पुराणों के अनुसार इस दिन सभी पवित्र नदियों और पतितपाविनी माँ गंगा का जल अमृत के समान हो जाता है। इस दिन गंगा स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल मिलता समान है।
मान्यता है कि अमावस्या पर देवता और पितृ, प्रयागराज के संगम में स्नान करने आते हैं। ऐसे में जो भी व्यक्ति ब्रह्म मुहूर्त में गंगा नदी में स्नान करता है, उसे लंबी आयु के साथ-साथ आरोग्य की भी प्राप्ति होती है। यदि किसी व्यक्ति की सामर्थ्य त्रिवेणी के संगम अथवा अन्य किसी तीर्थ स्थान पर जाने की नहीं है तब उसे अपने घर में ही प्रात: काल उठकर सूर्योदय से पूर्व स्नान आदि करना चाहिए,गंगा जल ग्रहण करे।
स्नान करते हुए मौन धारण करें और जाप करने तक मौन व्रत का पालन करें,इससे चित्त की शुद्धि होती है एवंआत्मा का परमात्मा से मिलन होता है।मौनी अमावस्या के दिन व्यक्ति को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान, पुण्य तथा जाप करने चाहिए।ऐसा करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं,सुख-समृद्धि आती है। सोमवती अमावस्या को किया गया दान सम्पूर्ण फलों को देने वाला है इस दिन किए गए श्राद्ध का फल अधिक मिलता है।
मौनी अमावस्या के दिन पूजन विधि
मौनी अमावस्या के दिन सुबह सर्वप्रथम व्रत का संकल्प लें फिर नदी, सरोवर, पवित्र कुंड या घर के जलपात्र के जल को माथे से लगाकर प्रणाम करने के बाद ही स्नान करें। तत्पश्चात पात्र में जल और काले तिल लेकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। उसके बाद पीले फूल, केसर, चंदन, घी के दीपक और प्रसाद स्वरूप पीले के मिष्ठान से पूजन करें। इस अवसर पर श्री विष्णु चालीसा का पाठ कर भगवान श्रीहरि एवं भगवान शिव की आरती करें।
मौन व्रत का महत्व
इस तिथि को मौन एवं संयम की साधना,स्वर्ग एवं मोक्ष देने वाली मानी गई है।वैसे तो इस व्रत को कभी भी किया जा सकता है,पर शास्त्रों में मौनी अमावस्या पर मौन रखने का विधान बताया गया है।यदि किसी व्यक्ति के लिए मौन रखना संभव नहीं हो तो वह अपने विचारों को शुद्ध रखें मन में किसी तरह की कुटिलता नहीं आने दें। आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी वाणी का शुद्ध और सरल होना अति आवश्यक है। मौन से वाणी शुद्ध और नियंत्रित होती है व यह हमारे सोचने-समझने की शक्ति को विकसित करता है इसलिए हमारे शास्त्रों में मौन का विधान बताया गया है। ऋषि-मुनि या चिंतक मौन रहकर ही मनन-चिंतन करते हैं इससे उनकी मानसिक ऊर्जा बढ़ती है, मौन रहकर कार्य करने से ज्ञानेन्द्रियाँ व कामेन्द्रियां एकाग्र होती हैं और कार्य सुचारु रूप से संपन
Mauni Amavasya Upay
माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या के नाम से जाना जाता है और इस बार यह शुभ तिथि 9 फरवरी दिन शुक्रवार को है। इस बार मौनी अमावस्या पर महोदय योग, बुधादित्य योग समेत कई अद्भुत योग संयोग बन रहे हैं, जिससे मौनी अमावस्या का महत्व बढ़ गया है। शास्त्रों में बताया गया है कि मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान पुण्य और पूजा पाठ करने से अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल मिलता समान है। ज्योतिष शास्त्र में मौनी अमावस्या का महत्व बताते हुए कुछ विशेष उपाय बताए गए हैं, इन उपायों के करने से पितृ दोष दूर होता है और नौकरी व कारोबार में अच्छी उन्नति होती है। आइए जानते हैं मौनी अमावस्या के दिन कौन से ज्योतिष उपाय करें…
- मौनी अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करने और सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व है। अगर आप तीर्थ स्थल पर नहीं जा सकते हैं तो घर पर ही सूर्योदय से पहले नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें। इस शुभ दिन पर पवित्र नदियों में स्नान और अर्घ्य देने से अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल मिलता है और दरिद्रता दूर होती है।
- मौनी अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें और दूध चढ़ाएं। इसके बाद पितरों को याद करते हुए दीपक जलाएं और सात बार परिक्रमा करें। पीपल की पूजा अर्चना करने के बाद गरीब व जरूरतमंद को भोजन कराएं। धार्मिक मान्यता है कि पीपल के मूल में भगवान विष्णु, तने में शिवजी और वृक्ष के अग्रभाग में ब्रह्माजी का निवास होता है। ऐसा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है और लक्ष्मीजी की कृपा बनी रहती है।
- मौनी अमावस्या के दिन थोड़े से चावल लेकर उनको केसर से रंग दें, इसके बाद उनको दक्षिण मुखी शंख में डाल दें। फिर घी का दीपक जलाकर पूजा अर्चना करें और कमलगट्टे की माला से ओम श्री मंत्र का कम से कम 11 बार जप करें। मौनी अमावस्या के दिन दक्षिणमुखी शंख की पूजा और मंत्रों का जप करने से महालक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है और घर में धन के भंडार भर जाते हैं।
- मौनी अमावस्या के दिन चांदी के नाग नागिन की पूजा अर्चना करें और फिर सफेद फूलों के साथ बहते जल में प्रवाहित कर दें। साथ ही गाय को दही और चावल खिलाएं। ऐसा करने से कालसर्प दोष, चंद्र दोष, सर्प दोष से मुक्ति मिलती हैं और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
- मौनी अमावस्या के दिन पितरों के नाम का तर्पण, पिंडदान, दान पुण्य और ब्राह्मण भोज कराने से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद बना रहता है। साथ ही मंदिरों के बाहर बैठे लोगों को दान करें और गरीब व जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं। ऐसा करने दरिद्रता दूर होती है और परिवार के सदस्यों में आपसी प्रेम भी बना रहता है।
- मौनी अमावस्या की शाम को घर के मेन गेट पर पितरों के नाम का दीपक दक्षिण दिशा की ओर जलाएं। साथ ही घर के ईशान कोण में और तुलसी के पौधे के समीप गाय के घी का दीपक जलाएं। लेकिन ध्यान रखें कि दीपक की बत्ती में लाल रंग के धागे का प्रयोग करें और दीपक में थोड़ा सा केसर भी डाल दें। ऐसा करने से घर में सुख शांति बनी रहती है और माता लक्ष्मी का घर में आगमन भी होता है।
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