तुम जो थे,
तो थी धूप, तो थी चाँदनी
तो था एक नीला आकाश,
तो था एक अपार सागर
कई
और एक लालटेन और शांति
शांति हृदय की, शांति आत्मा की
फिर चारों ओर काले बादल
और एक गहरा अंधकार
एक अछेद्य अंधकार
और हमारी नाव, उस अंधकार,
उस तूफ़ान में डूबती हुई।
कवि: अंकुर मिश्र
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